किस राह पर जा रहे चौथे स्तंभ के कलमकार | Kis rah pr ja rhe chothe sthambh ke kalamkar

किस राह पर जा रहे चौथे स्तंभ के कलमकार

लेखक मुकुल सक्सेना क्या कहते है अपने यह विजन न्यूज मे चलो देखते है

किस राह पर जा रहे चौथे स्तंभ के कलमकार

सूरत (प्रवीण शाह) - मन की वेदना ओर व्यथा दोनों ही चरम पर है।जिले में चौथे स्तंभ के प्रहरी कलमकारों को वैमनस्यता ओर द्वेष का दंश डसता जा रहा है।मेरे विचार में पत्रकार वह सजग व्यक्ति है जो अपनी कलम से आईना दिखाता है । किंतु मन व्यथित ओर मन उद्वेलित तब हो उठता है जब हमारे भाई समाज को आइना दिखाते दिखाते शब्दों के संयोजन को व्यक्तिगत और संगठन की कब्र खोदने में जुट जाते है।भले ही अपने को प्रखर समझे किन्तु वैचारिक मतभेद की इस लड़ाई को जब महिलाओं के जरिये असत्य आक्षेप में परिवर्तित दाण्डिक प्रकरण दर्ज कराए जाने की धृष्टता की जाती है तो मन व्यथित ही नही क्षोभ में पड़ जाता है।विधि व्यवसाय के साथ पत्रकारिता में आने से समय समय पर संगठन में जब जब मुझे अपनो से मुखातिब होने का मौका मिला है मेने सदा ही यही कहा है तथ्यात्मक जानकारी को प्रकाशित किया जाए तो उसके तथ्यों का प्रकाशन से पूर्व सत्य होने का निश्चय भी किया जाए। व्यक्तिगत आक्षेप कलम की धार से इस प्रकार प्रकाशित हो कि सांप भी मर जाये और लाठी भी न टूटे।किन्तु पिछले कुछ वर्षो में मेरे जिले के कलमकारों में प्रतिद्वन्द्वता व्यक्तिगत आक्षेप में परिवर्तित होकर निचले स्तर तक आ चुकी है और इसके परिणाम कलम पर ही आने निश्चित है।कलमकार समाज से सम्मुख एक सम्मानीय ओर आकर्षित करने वाला व्यक्तित्व होता है किंतु अपनी छबि सुधारने ओर बिगाड़ने में कलम के रुख का बड़ा महत्व होता है।मेरे कुछ कलमकार बंधु अपनी कलम की नोक को इतना पैना कर चलाने पर आतुर रहते है जिससे पन्ना ही चिर जाता है यही क्षोभ का विषय है।स्वयम को प्रखर समझने वाले कलमकार बंधु ये भूल जाते है स्वाभिमान ओर अभिमान के बीच बहुत पतली सी लकीर है जिसे लांघना स्वयं के साथ अपनी बिरादरी पर भी दाग हो जाता है।ऐसे में  अधिकारी  ,नेता और बंधु भी पल्ला झाड़ कर रास्ता बदल देते है।सामाजिक पारिवारिक ओर आर्थिक तीनो दृस्टि से ऐसा कलमकार पिछड़ जाता है क्योंकि उसकी ऊर्जा इन व्यर्थ के विवादों में अपने को सही सिद्ध करने की व्यूह रचना में जाया हो जाती है। मेरे कलमकार बंधुओ से विनम्र निवेदन कर रहा हु चौथे स्तंभ की गरिमा को गिरने न दे और व्यक्तिगत आक्षेप,वैमनस्यता ओर स्त्रियों के सहारे अपने ही बंधुओ की छबि धूमिल करने से बाज आये।सभी के स्वर्णिम भविष्य की शुभकामनाओ के साथ आपका कलमकार बंधु मुकुल सक्सेना।


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