श्री मोहनखेड़ा महातीर्थ में आचार्य श्री हेमेन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. की 10 वीं पुण्यतिथि मनायी | Shri mohankheda maha tirth main acharya shri hemendra surishwar ji m sa ki 10 vi punyatithi manaye

श्री मोहनखेड़ा महातीर्थ में आचार्य श्री हेमेन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. की 10 वीं पुण्यतिथि मनायी

आचार्यश्री निर्मल भावों के धनी थे : आचार्य ऋषभचन्द्रसूरि

श्री मोहनखेड़ा महातीर्थ में आचार्य श्री हेमेन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. की 10 वीं पुण्यतिथि मनायी

राजगढ़ (संतोष जैन) - दादा गुरुदेव श्रीमद्विजय राजेन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. की पाट परम्परा के षष्ठम पट्टधर आचार्य श्री हेमेन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. बहुत ही निर्मल भावों के धनी थे । मैं बचपन से ही उनके सानिध्य में आया था । मेरे गुरु आचार्य श्री विद्याचन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. से मेरी दीक्षा के पश्चात् मात्र 27 दिन साथ रहने का संयोग रहा पर आचार्य श्री हेमेन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. के 30 वर्षों तक आचार्यपद के कार्यकाल में उनके आज्ञानुवर्ती रहने का मुझे अवसर मिला । उन्होंने मुझे हर मुकाम पर दिल खोलकर सहयोग किया ।

श्री मोहनखेड़ा महातीर्थ में आचार्य श्री हेमेन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. की 10 वीं पुण्यतिथि मनायी

हमेशा प्रगति के अवसर पर आगे बढ़ाते रहे ओर उन्हीं के दिशा निर्देशन में श्री मोहनखेड़ा महातीर्थ के विकास कार्यों को करने का भरपूर अवसर मिला । उन्हीं के निर्देशन में गुरु शताब्दी महा महोत्सव का भव्य आयोजन भी सफल हुआ । वे हमेशा प्रभु श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ भगवान के जाप में लीन रहे ओर हमारा मार्गदर्शन करते रहे थे । वे बहुत ही सेवाभावी थे । मुझे उनके वो पल हमेशा याद रहते है जब उन्होंने प्रथम उपधान तप करवाया था । उनकी स्मरण शक्ति अद्भूत थी । उक्त बात वर्तमान गच्छाधिपति आचार्यदेवेश श्रीमद्विजयऋ षभचन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. ने आचार्यश्री हेमेन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. की 10 वीं पुण्यतिथि के अवसर पर श्री मोहनखेड़ा तीर्थ में आयोजित गुरु गुणानुवाद करते हुये कही ।


इस अवसर पर मुनिराज श्री पीयूषचन्द्रविजयजी म.सा. ने आचार्यश्री के जीवन वृतान्त पर विस्तृत प्रकाश डालते हुये कहा कि आचार्यश्री हमेशा क्रियाशील रहे वे बहुत ही निर्मल हृदय के व्यक्ति थे । आचार्यश्री के कार्यकाल में जो भी जिनशासन प्रभावना व विकास कार्य हुये है वे इस तीर्थ के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों से अंकित किये जाने योग्य है ।     

कार्यक्रम में तीर्थ के मेनेजिंग ट्रस्टी सुजानमल सेठ ने कहा कि आचार्यश्री बहुत ही सरल विचारों के धनी थे और हमेशा जाप में लीन रहकर ट्रस्ट मण्डल को विकास कार्यो की प्रेरणा प्रदान
करते रहते थे । पूरे ट्रस्टमण्डल की ओर से मैं उन्हें 10 वीं पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि अर्पित करता हुँ । कार्यक्रम
में मंत्रणा समिति सदस्य सेवन्तीलाल मोदी, संतोष चत्तर, दिलीप भण्डारी एवं दिलीप नाहर, शांतिलाल जैन,
राकेश रायली, तीर्थ के महाप्रबंधक अर्जुनप्रसाद मेहता आदि भी उपस्थित रहे । 

श्री मेहता ने बताया कि चातुर्मास के दौरान भाद्रपद मास की साधार्मिक भक्ति का लाभ श्री गुरु राज ऋषभ परिवार द्वारा लिया गया ।

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