जैन चातुर्मास में आत्म शुद्धि के साथ ही महावीर के बताये मार्ग पर चलने का लिया जावेगा सकल्प | Jain chaturmas main atm shuddhi ke sath mahavir ke bataye marg pr chalne

जैन चातुर्मास में आत्म शुद्धि के साथ ही महावीर के बताये मार्ग पर चलने का लिया जावेगा सकल्प

चातुर्मास का महिमा अतुल्य एवं आत्म शांति प्रदाता होती है- संजय मेहता

जैन चातुर्मास में आत्म शुद्धि के साथ ही महावीर के बताये मार्ग पर चलने का लिया जावेगा सकल्प

झाबुआ (अली असगर बोहरा) - श्री जैन श्वेताम्बर श्री संघ के अध्यक्ष संजय मेहता ने  पवित्र चातुर्मास पर्व को लेकर इसकी महिमा की जानकारी देते हुए बताया कि जैन चातुर्मास पर्व विश्व में सर्वाधिक समय तक चलने वाला पर्व है, जो सम्पूर्ण वर्ष के एक तिहाई भाग यानि बारह महीनों में से चार महीनों तक मनाया जाने वाला यह अकेला ऐसा पर्व समारोह है। यह गिनीज बुक में दर्ज होना चाहियें। जैन चातुर्मास पर्व विश्व में अकेला ऐसा पर्व है, जिसमे राग का समावेश नहीं, वीतरागता का समावेश है। जैन चातुर्मास पर्व शारीरिक आनंद का नही, आत्मा के आनंद का पर्व है। जैन चातुर्मास पर्व घूमने फिरने का नही, हो सके जहां तक एकांतवास का पर्व है।जैन  चातुर्मास  पर्व की खुशियाँ मनाने के लिए बार बार विविध आइटम्स खाने का नही, बल्कि एकासना, आयम्बिल या उपवास रखने का पर्व है।जैन चातुर्मास पर्व होटल, मॉल में जाकर सांसारिक खुशियाँ मनाने का नही, आराधना भवन जाकर आत्मिक खुशियाँ मनाने का है। जैन चातुर्मास पर्व थियेटर में जाकर सिनेमा देखने का पर्व नही, जिनालय में जाकर वीतराग प्रभु को निहारने का पर्व है। जैन चातुर्मास पर्व यहाँ-वहाँ घूमकर समय की बर्बादी का पर्व नही, समय का सद् उपयोग कर गुरुवाणी सुनकर जीवन में धारण करने का पर्व है। जैन चातुर्मास पर्व संसार के भँवर में फसाने वाला नही, संसार सागर से तिराने वाला पर्व है.. हम सभी चातुर्मास की आराधना में जुड़कर अपनी आत्मा का कल्याण करे ।


श्री मेहता ने बताया कि जैन समाज में चातुर्मास का विशेष महत्व है। इस अवधि में समाज के संत, मुनि, साध्वी एक निश्चित स्थान पर विराजमान होकर चातुर्मास करते हैं। इस बार चातुर्मास 4 जुलाई से प्रारंभ होकर जिसका समापन 29 नवंबर को होगा। वर्ष 2020 के पश्चात् विक्रम संवत् 2080 में एक श्रावण मास की अधिकता रहेगी जिससे इस वर्ष में चातुर्मास पांच माह का रहेगा। उल्लेखनीय है कि जैन समाज द्वारा चातुर्मास के चार माह विशेष धर्म-आराधना की जाती है। झाबुआ में भी समग्र जैेन समाज में चातुर्मास को लेकर तप आराधना का क्रम प्रारभ हो चुका है तथा कोराना के चलते इस बार अपने अपने घरो पर रह कर ही आराधना, सामायिकी, तपस्या आदि किये जावेगें । इस एकल साधना का भी जैन धर्मो के अनुसार काफी महत्व है ।

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