अहिंसा तीर्थ प्रणेता राष्टसंत आचार्य श्री 108 प्रमूखसागरजी महाराज ने जैन मांगलीक भवन मै प्रवचन दीये
जावरा (यूसुफ अली बोहरा) - आचार्य श्री के मुखारबिंद से कहा गया सुख दुख के बारे में बताते हुए कहा कि संसार के सुख और दुख वासना के मात्र है ना तो ये सुख है ना ही ये दुख है और इनसे बचना चाहिए क्योंकि यह कि क्षणिक समय के लिए रहता है। कोई आपके साथ एक क्षण का उपकार भी करता है तो हमेशा उस उपकार को याद रखना चाहिए और आप किस पर उपकार करो तो उसी वक्त भूल जाना चाहिए और साधनो में सुख नही है सच्चा सुख तो साधना में है।सभी साधन के सुख दुख के ही कारण है छोटे छोटे त्याग की और प्रेरीत किया जो आज के जीवन में बहुत महत्वपूर्ण है जैसे एक दिन के लिए मोबाइल का त्याग एक दिन का टेलीविशन का त्याग इस तरह के छोटे छोटे से त्याग भी धर्म की और जोड़ते है एक एक दिन का त्याग भी मोक्ष की और कदम बढ़ाने की और हे यह जानकारी चातुर्मास समीती पवक्ता रीतश जैन दी।
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