अहिंसा तीर्थ प्रणेता राष्टसंत आचार्य श्री 108 प्रमूखसागरजी महाराज ने जैन मांगलीक भवन मै प्रवचन दीये
जावरा (यूसुफ अली बोहरा) - दीगम्बर जैन मांगलीक भवन सोमवारीया मै अहिंसा तीर्थ प्रणेता राष्टसंत आचार्य श्री 108 प्रमूखसागरजी महाराज ने इष्टोपदेश ग्रंथ पर उपदेश के क्रम मै आज कहा की जब भी भगवान या गूरू के पास जाओ तो भीखारी बनकर मत जाओ बल्की जीवन घन्य करना है तो पूजारी बनकर जाओ। अर्थात प्रभू से कूछ मागने की अप्रेक्षा उनके चरणो मै देने ओर समर्पण करने की भावना से ही मानव का कल्याण हो सकता है। आगे आचार्य श्री कहा की भगवान तो वीतरागी है व कूछ दे नही सकते उनसे मागना ही है तो यह मांगो की जो कूछ आपने प्राप्त कीया है अर्थात जो गूण ओर मूक्ती आपने प्राप्त की है वह मूझे भी प्राप्त हो। लेकीन मनूष्य भगवान के पास जाकर जो धन ,वेभव, ओर सम्पदा उनहोनै छोडी है इसीकी याचना करता है। ऐसी याचना से भक्त का भला होने वाला नही है सबके प्रति प्रेम भाव ओर उसके गूण ग्रहण का भाव रखकर ही मनूष्य मूक्ती पासकता है। इस अवसर पर चातुर्मास समीती अघ्यक्ष महावीर मादावत, चातुर्मास समीती महांमन्त्री वीजय ओरा,चातुर्मास समीती कोक्षाघ्यक्ष हीम्मत गगंवाल, चातुर्मास समीती उपाघ्यक्ष पूखराज सेठी ,चातुर्मास समीती सहमहामनत्री पवन पाटनी, चातुर्मास समीती पवक्ता रीतेश जैन ,चातुर्मास समीती वरीष्ठ राजेश कीयावत, अजय दोशी, नरेन्द गोधा, अनील कोठारी, पारस गगवालं, वीनोदीलाल दोशी, दीलीप बरैया, अनील कोठारी, पकज शाहा, अनील काला, पूनमचन्द ओरा, पवन कलशघर, मनोज बारोड आदी कार्यकर्ता उपस्थीत थै।
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