शिक्षा के व्यापार को रोकने के लिए सरकारी स्कूल अपनाए | Shiksha ke vyapar ko rokne ke liye sarkari school apnaye

शिक्षा के व्यापार को रोकने के लिए सरकारी स्कूल अपनाए

संदर्भ -  स्कूल फीस का विवाद!

शिक्षा के व्यापार को रोकने के लिए सरकारी स्कूल अपनाए

पीथमपुर (प्रदीप द्विवेदी) - महू के  एडवोकेट  शेखर बुंदेला ने  एक विज्ञप्ति में अपने विचार व्यक्त करते हुए  सुझाव दिया कि सरकारी स्कूल में विश्वास कीजिए, अपने  बच्चों को बिना फीस के या न्यूनतम फीस पर पढ़ने भेजिए।

श्री बुंदेला ने कहा सरकारी स्कूल में निर्धारित योग्यता वाले, योग्य संयुक्त शिक्षकों की नियुक्ति सरकार द्वारा की जाती है, निजी स्कूलों के भी सभी शिक्षक सरकारी स्कूल में नौकरी चाहते हैं, यह याद रखना होगा।


सरकारी स्कूलों में ही पढ़ कर, देश के शिखर पर कार्य करने वालों की फौज है। हमें इस तथ्य को नहीं भूलना चाहिए कि योग्यता किसी साधन या माध्यम की गुलाम नहीं है।

सरकारी स्कूल में , हमारा ही पैसा लगा है, हम जो टैक्स देते हैं उससे ही सरकारी स्कूल चलती हो, वेतन बढ़ता है, मिड डे मील दिया जाता है, हमारे मोहल्ले, ग्राम केंद्र, हमारे नगर में ही अधिकांश सरकारी स्कूल बने हुए हैं, भीड़ भरी बस मैं दूर बच्चों को भेजना वैसे भी तर्कसंगत नहीं है,सरकारी स्कूल में, यदि हम सक्षम है तो दान देकर, जनभागीदारी के माध्यम से व्यवस्था में सुधार सकते हैं, सरकार ने ऐसे दान के संदर्भ में आयकर अधिनियम के तहत आयकर की छूट भी प्रदान की है।

इस कोरोना के काल में बदली हुई परिस्थितियों में,एक बार ओर ठंडे दिमाग से विचार कर भाग लेवे, निजी स्कूलों की व्यावसिकता को चुनोती देने के लिए शिक्षा के व्यापार को रोकने के लिए क्रांतिकारी कदम उठाए ।महू कैंटोनमेंट बोर्ड के पार्षद जितेन शर्मा ने भी उनकी बात का समर्थन किया सभी पाठकों से इस पर विचार कर अमल करने का सुझाव दिया।

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