प्रधानमंत्री आवास के पक्के भवन में भी खपरैल छप्पर डालने की मजबूरी
डिंडौरी (पप्पू पड़वार) - जिले के बैगाचक क्षेत्र में प्रधानमंत्री आवास के तहत स्वीकृत हुए भवनों के बुरे हाल हैं। आलम यह है कि पक्के भवनों में बारिश से बचने के लिए मजबूरन बैगा जनजाति के लोग खपरैल की छप्पर डालने को मजबूर हैं। क्षेत्र के दर्जनों आवास ऐसे हैं, जिनमें पिलर खड़े होने के साथ पक्की ईंट तो लगी हैं, लेकिन छत नहीं पड़ पाने से मजबूरन बैगाओं को बारिश में सिर छिपाने के लिए खपरैल की छप्पर डालना पड़ा। बैगाचक के महत्वपूर्ण ग्राम चांड़ा के ही बुरे हाल नजर आ रहे हैं। चार साल पहले स्वीकृत हुए गरीबों के आवास ठेकेदारों की लापरवाही की भेंट चढ़ गए हैं। हितग्राहियों को बहला फुसलाकर अच्छे मकान का झांसा देकर उनके आवास के 85 हजार रुपये से लेकर एक लाख 35 हजार रुपये तक कि राशि ठेकेदारों द्वारा बंदरबांट कर ली गई। मकानों की छत तक नहीं डाली गई है। चांडा पंचायत के दादर टोला में ही तकरीबन लगभग दो जर्जर आवास ऐसे हैं, जिनकी छत नहीं डाली गई है। 25 मकान से ज्यादा ऐसे हैं जिनकी दीवारों पर प्लास्टर और जमीन पर फर्श नहीं कराया गया है।
जनपद सीईओ पर भ्रमण न करने का आरोपः
जनपद बजाग के जिम्मेदार अधिकारियों पर आरोप है कि न तो उनके द्वारा भ्रमण कर पीएम आवास की स्थिति देखी गई और न ही सचिव, सरपंच से इस लापरवाही की जानकारी ली गई। अधिकांश आवास के हितग्राहियों की अंतिम किश्त भी जनपद से नहीं डाली गई। इस पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं। हितग्राहियों का आरोप है कि कार्यालय में बैठकर कागजी कार्रवाई की खानापूर्ति की जा रही है। जिम्मेदार अधिकारी भले ही लापरवाही बरत रहे हों, लेकिन नईदुनिया को आवासों की जो तस्वीरें मिली हैं वो दबंगो की दबंगई, गरीबों की मजबूरी और प्रशासन की लाचारी बयान करने के लिए काफी है।
दो ठेकेदारों ने बिना निर्माण कराए हड़पी राशिः
आवास न बन पाने की पीड़ा हितग्राही और उनके परिजनों के गरीबी से तंग चेहरे पर साफ दिखाई देती है। हितग्राही नचकार सिंह की पत्नी बड़े दुख के साथ अपनी ठेठ बैगानी भाषा मे बताती हैं कि एक भी पैसा हाथ में नही मिला। पूरा पैसा सेराझार निवासी तुलाराम ले गया। मजदूरों का भुगतान तक उनको खुद करना पड़ा। आज भी मकान पर छत नहीं डल पाई है। हितग्राही सुकल सिंह पिता भीमहा की पुत्री बताती हैं कि तुलाराम को ठेका नहीं दिया था। खुद ही पंचायत से लिस्ट लेकर आ गया और मैं बनवाऊंगा कहकर छड़, रेत, गिट्टी सब ले आया। आरोप है कि ठेकेदार काम कराने के दौरान यहीं रहकर घर के सारे मुर्गा भी खा गया। हितग्राहियों ने आरोप लगाया कि अधूरा काम छोड़कर ठेकेदार जो गायब हुआ, तो अब नजर भी नहीं आया। शिकायत करने के बाद भी उस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।
आवास का सुख भोगने से पहले मौतः
हितग्राही स्वर्गीय विरसिंह की वृद्घ पत्नी ने बताया कि ठेकेदार तुलाराम उसके ही घर में रहता था। उनका तीन साल पुराना आवास है, जिसकी छत डालने से पहले ही उसके पति स्वर्गवासी हो गए। मकान आज तक नहीं बन पाया है। अपने ही पैसों से ईंट की दीवारों के ऊपर कधाा छप्पर बनवाया है। उनके आवास की हालत देखकर ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि ये भोले भाले लोग किस कदर छले गए हैं। चांडा निवासी एक और ठेकेदार बड़कू पर भी आरोप लग रहे हैं। रोते हुए तुलसी राम बताते हैं कि गांव घर का मानकर बड़कू को पैसे दिए थे, लेकिन कुछ नही किया। बुद्घन बाई, जगोतीन बाई जैसे कई हितग्राही हैं, जिनमें से किसी के आवास का लेंटर नहीं हुआ तो किसी का प्लास्टर, तो कोई अपने घर पर टीन की चादर लगाए हुए हैं तो कोई मिट्टी के खपरैल। ठेकेदार तुलाराम का कोई पता नहीं है जबकि बड़कू से गांव के लोग डरने की बात कहते हैं। ऐसे में इनके आवास कैसे बनेंगे, इसका जवाब किसी के पास नहीं। इस पूरे मामले में जिम्मेदार अधिकारियों की भूमिका पर लगातार सवाल उठ रहे हैं। गौरतलब है कि बजाग जनपद के ही क्षेत्र में सैकड़ों की संख्या में पीएम आवास की बुरे हाल है।
वर्जन.........
कुल 21 आवास काफी समय से अधूरे हैं। हितग्राहियों का कहना है कि ठेकेदार पैसे खाकर भाग गए। हम लोगों ने थाने में व अपने उधा अधिकारियों तक शिकायत की। आपको पावती उपलब्ध करा सकता हूं। शिकायत के बाद भी कुछ नहीं हुआ आज तक।
प्रकाश बघेल
सचिव ग्राम पंचायत चांडा।
मुझे इस संबंध में कोई जानकारी ही नहीं है। आप अधूरे भवन वाले हितग्राहियों की लिस्ट दे दें। मैं दिखवाता हूं।
जानकी प्रसाद पूसाम
पंचायत निरीक्षक, जनपद बजाग।
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