जब तक मांगे नहीं मानी जाएगी बसो के थमे रहेंगे पहिए | Jab tak mange nhi mani jaegi buso ke thame rhenge pahiye

जब तक मांगे नहीं मानी जाएगी बसो के थमे रहेंगे पहिए

जब तक मांगे नहीं मानी जाएगी बसो के थमे रहेंगे पहिए

धामनोद (मुकेश सोडानी) - बस नहीं चलने के कारण  ग्रामीण बुरी तरह से परेशान है  करीब  100 दिन से अधिक लॉकडाउन के दौरान बसों के पहिए थमे रहे  अब बस संचालक और मालिकों की आर्थिक कमर पूरी तरह से टूट चुकी है क्योंकि वह चाहते हैं कि सरकार उन्हें टैक्स में रियायत  दे साथ साथ किराए में वृद्धि की जाए इधर इसी कारोबार से जुड़े नगर के संजय चौधरी ने बताया कि विगत दिवस लॉकडाउन के दौरान करीब 10  रुपये से अधिक डीजल के भाव बढ़ गए  और अब नियमों का हवाला देकर मात्र आधी सवारियों को बस में बैठाने की बात कही जा रही है जिससे कहीं से कहीं तक खर्चा वहन नहीं हो पाएगा गौरतलब है कि अब पूरा देश अनलॉक हो गया है,लेकिन छेत्र में बसों के पहिए अब भी लॉक हैं.लॉक डाउन के कारण मध्यप्रदेश में बंद की गयीं बसें दोबारा शुरू करने के बारे में सरकार अभी तक कोई फैसला नहीं ले पायी है. बस ऑपरेटर्स  की भी अपनी कई मांग हैं लेकिन कई दौर की मीटिंग के बाद भी उन पर फैसला नहीं हो पाया है.  पूरे छेत्र  में बसें स्टैंड इस पेट्रोल।पंप पर खड़ी हुई हैं.हजारों यात्री बसों के पहिए थमने की वजह से ड्राइवर,क्लीनर और कंडेक्टर के सामने रोजी-रोटी पर संकट खड़ा हुआ है और यात्री परेशान हैं.


इधर बस एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष गोविंद शर्मा ने बताया कि
परिवहन विभाग और प्रदेश के बस ऑपरेटरों के बीच कई दौर की मीटिंग हो चुकी है. इसके बावजूद कोई रास्ता नहीं निकला है. अभी भी सिर्फ बातचीत से खानापूर्ति हो रही है. बस ऑपरेटरों ने सरकार के सामने अपनी मांगें रखी हैं उन पर सरकार को अंतिम फैसला लेना है. ऑपरेटर्स का कहना है सरकार को 3 महीनों का टैक्स माफ कर देना चाहिए और किराया भी बढ़ाना चाहिए. उन्होंने किराया बढ़ाने को लेकर तर्क दिया है कि सरकार ने यात्री बसों में 50 फीसदी यात्रियों को मंजूरी दी है, इसलिए हम अपने नुकसान की भरपायी कैसे कर पाएंगे. ऊपर से तीन महीने से बसें बंद हैं तो जो नुकसान हुआ है वो अलग. अगर सरकार ऐसा नहीं करती है तो फिर  50 फीसदी यात्रियों के साथ बसें नहीं चलायी जा सकतीं.

हजारों का रोज़गार छीना//

छेत्र में बसें बंद होने के कारण  सेकड़ो ड्राइवरों  कंडेक्टर-क्लीनर बेरोजगार हो गए हैं.  एक बस के ज़रिए दो ड्राइवर और 3 से ज्यादा कंडेक्टर, क्लीनर का रोजगार चलता है. इसके साथ ही बसों की रिपेयरिंग, उनकी डेंटिंग-पेंटिंग के साथ उसकी आयल ग्रेसिंग करने से जुड़े लोगों को भी रोजगार मिलता है. बसों से जुड़ा व्यापार भी होता है. कई व्यापारियों कारोबारी का बिजनेस बस ही पर आश्रित था लेकिन बसों के बंद होने से यह सब बेरोजगार हो गए,

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