इस नवरात्रि नए रूप में निखरेगा अमका झमका मंदिर परिसर
कलेक्टर ने निरीक्षण कर प्रसन्न मन से कहा बहुत अच्छा काम चल रहा है
धार/अमझेरा - भगवान कृष्ण द्वारा रुक्मिणी का हरण करने वाला स्थल धार जिले का अमझेरा स्थित अमका झमका परिसर है । बारिश के दिनों में हरियाली से आच्छादित यह मंदिर परिसर एक अनोखे रूप में होता है, लेकिन गर्मी के दिनों में यहां सब कुछ वीरान नजर आने लगता है। इस बार जिला प्रशासन के सहयोग से जिला पंचायत ने पूरे मंदिर परिसर को एक नया रूप देने का प्रयास किया है, जिससे आने वाली नवरात्रि में यहां की छटा कुछ अलग ही रहेगी। बुधवार को कलेक्टर आलोक कुमार सिंह ने अमका झमका मंदिर परिसर का निरीक्षण किया और यहां की महत्ता को समझा । जल और पर्यावरण संरक्षण के लिए किए जा रहे काम को देखकर कलेक्टर प्रसन्न नजर आए और उन्होंने कहा, सब कुछ ठीक चल रहा है। कलेक्टर के साथ जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी संतोष वर्मा की मौजूद थे।
यह है परंपरा
प्राचीन रुक्मिणी हरण स्थल मां अमका झमका तीर्थ पर वर्षों से चली आ रही परिपाटी वाली परंपरा का निर्वहन जारी है। हर वर्ष यहां अमझेरा के विभिन्न पंडित परिवार के समाजजन अपनी सेवा में मंदिर की चाबी एक दूसरे को सौंपते हैं। यह कार्य हर शारदीय नवरात्रि के एक दिन पूर्व अमावस्या को किया जाता है। पुजारी आने वाले पंडित को विधिवत चाबी सौंपता है। जिस पंडित का सेवा का वर्ष रहता है वह अमावस्या की रात विधिवत माताजी के पट खोलता है। इसी परंपरा में शनिचर अमावस्या की रात में वर्तमान पंडित पर्व ने अभिजीत पंडित को चाबी सौंपता है, जो रात में 12 बजे मंदिर के पट खोलते हैं। यह अनूठी परंपरा वर्षों से चली आ रही है। इसमें एक बड़ी बात यह भी देखने में मिली है कि यदि पंडित परिवार अमझेरा छोड़कर कहीं बाहर बसते हैं तो उनके परिजन सेवा देते है। यानी एक परिवार के सभी भाई मिलकर सेवा देते है। यहां अष्टमी को माता अंबिका, नवमी को माता चामुंडा व झमका माता का विशेष यज्ञ होकर पूर्णाहुति दी जाती है. नवदुर्गा में विशेष अनुष्ठान पाठ किए जाते है।
पंवार वंश की कुलदेवी है
रतलाम, झाबुआ, मुंबई, भोपाल आदि शहरों व प्रांतों से अष्टमी व नवमी को कुलदेवी पूजने बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते है. माता चामुंडा पंवार वंश की कुलदेवी है। इसलिए महाराष्ट्र के बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां दोनों नवरात्रि में यहां आते है।
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