आत्मनिर्भर होने की दिशा में एक कदम, कोरोना से लड़ने में स्वसहायता समूह निभा रहे विशेष भूमिका | Atmanirbhar hone ki disha main ek kadam

आत्मनिर्भर होने की दिशा में एक कदम, कोरोना से लड़ने में स्वसहायता समूह निभा रहे विशेष भूमिका

समूह से जुड़ी महिलाएं घर के कामकाज के साथ बना रही मास्क और पीपीई किट
आत्मनिर्भर होने की दिशा में एक कदम, कोरोना से लड़ने में स्वसहायता समूह निभा रहे विशेष भूमिका

उज्जैन (रोशन पंकज) - उज्जैन जिले के विभिन्न स्वसहायता समूह वर्तमान में कोरोना से लड़ने में विशेष भूमिका का निर्वहन कर रहे हैं। विभिन्न समूहों से जुड़ी महिलाएं घर के कामकाज के साथ कोरोना वॉरियर्स तथा आमजन के लिये मास्क और पीपीई किट भी बना रही हैं। इस प्रयास से एक ओर जहां मास्क और पीपीई किट की पर्याप्त संख्या में आपूर्ति हो रही है, वहीं दूसरी ओर समूह की महिलाओं ने आत्मनिर्भर बनने की दिशा में एक कदम और आगे बढ़ा लिया है।

अब हमें रेडिमेड मास्क और पीपीई किट के लिये किसी अन्य फैक्टरी पर निर्भर नहीं होना पड़ रहा है। बस केवल इन समूहों को किट बनाने का पूरा रॉ मटेरियल उपलब्ध करवाया जाता है और काफी कम समय में मास्क और पीपीई किट बनकर तैयार हो जाते हैं। उज्जैन जिले में विभिन्न स्वसहायता समूहों द्वारा अब तक 174765 मास्क और 6334 पीपीई किट निर्मित किये जा चुके हैं।


ऐसा ही एक स्वसहायता समूह देवास रोड स्थित ग्राम चन्देसरा में स्थित है। समूह का नाम सरस्वती स्वसहायता समूह है। इसकी अध्यक्ष श्रीमती संगीता सोलंकी और सचिव श्रीमती रीना मकवाना है। उन्होंने बताया कि ये स्वसहायता समूह दिसम्बर-2012 में बनाया गया था। वर्तमान में अध्यक्ष और सचिव के अलावा इसमें 19 सदस्य हैं। सामान्य दिनों में समूह द्वारा मध्याह्न भोजन और रेडिमेड कपड़े बनाये जाने का काम किया जाता था, लेकिन कोरोना संकट के दौरान अप्रैल-2020 से समूह की महिलाओं द्वारा मास्क और पीपीई किट निर्मित कर प्रशासन को उपलब्ध करवाये जा रहे हैं।

समूह की अध्यक्ष श्रीमती संगीता सोलंकी ने बताया कि उन्होंने मात्र एक बार मास्क और पीपीई किट निर्मित होते हुए देखा था। उसके बाद उसे बनाना सीख लिया। फिर उन्होंने समूह की अन्य महिलाओं को भी मास्क और पीपीई किट बनाना सीखाया। आज उन्हें यह जानकर खुशी होती है कि उनके द्वारा बनाये गये मास्क और पीपीई किट का उपयोग अस्पतालों में कोरोना वॉरियर्स कोरोना संक्रमण के इलाज के दौरान कर रहे हैं। इससे उन्हें ऐसा लगता है कि कोरोना के खिलाफ देशभर में जारी जंग में उन्होंने अपनी ओर से भी योगदान दिया है।

समूह की सचिव श्रीमती रीना मकवाना ने बताया कि समूह द्वारा प्रात: 11 बजे से शाम 6 बजे तक मास्क और पीपीई किट का निर्माण किया जाता है। निर्माण के दौरान सभी महिलाओं द्वारा हर बार सेनीटाइजर का उपयोग तथा स्वच्छता का विशेष ध्यान रखा जाता है। उनके यहां इसके लिये चार मशीनें है, जिन पर निरन्तर काम चलता रहता है। अब तक इस समूह द्वारा लगभग 10950 मास्क और 4664 पीपीई किट का निर्माण किया जा चुका है।

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