नातिन ने अपने नाना की चिता का अग्निदाह कर पूर्ण किए अंतिम संस्कार
मनावर (पवन प्रजापत) - इस आधुनिक युग में समय के अनुकूल कई सामाजिक धार्मिक मान्यताओं व प्रथाओं में भी परिवर्तन देखे जा रहे हैं। कई प्रथाओं में पुरुषों के एकाधिकार को स्त्रियों ने तोड़ा है। समाज और परिवार ने भी इसके लिए स्त्रियों को प्रोत्साहित किया है। ऐसा ही एक आदर्श उदाहरण शहर में अंतिम संस्कार क्रिया में देखने को मिला है ।जहां नातिन ने अपने नाना के निधन पर नाती का फर्ज निभा कर अंतिम संस्कार की संपूर्ण क्रिया पूर्ण कर दाह संस्कार किया है। रमेश कुमार मिश्रा डॉक्टर बृजेश श्याम और सुशील के जियाजी तथा रेलवे के सेवानिवृत्त कर्मचारी काशीनाथ दुबे धार रोड मनावर का रविवार अलसुबह बीमारी के बाद निधन हो गया। वह तीन-चार दिनों से बीमार चल रहे थे। स्वर्गीय दुबे का कोई पुत्र नहीं है उनकी एकमात्र पुत्री प्रीती मिश्रा महू है। ऐसे में जब अंतिम संस्कार की प्रक्रिया पूर्ण करने की बात आई तो सभी परिजनों ने मंत्रणा कर निर्णय लिया कि अंतिम क्रिया प्रीति की बड़ी पुत्री आयुषी नरेंद्र मिश्रा से पूर्ण करवाई जाए ऐसे में आयुषी ने अंतिम संस्कार की सभी क्रियाएं पूर्ण कर अपने नाना की चीता का अग्नि दाह किया आयुषी का कहना था कि मेरी मम्मी भी इकलौती पुत्री है हम भी दो बहने हैं ऐसे में नाती के दायित्व का अधिकार परिजनों ने मुझे सौंपा मुझे आत्मिक संतुष्टि है कि यह दायित्व में बखूबी निभा पाई अंतिम संस्कार स्थानीय मुक्तिधाम पर किया गया । स्वर्गीय काशीनाथ दुबे मनावर में अपने नाना की चीता का अग्निदहन नातिन आयुषी द्वारा किया गया।
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