लिखा पढ़ी का घंटों चला खेल धूप की तपन सहते रहे मजदूर | Likha padi ka ghanto chala khel dhoop ki tapan sahte rhe majdoor

लिखा पढ़ी का घंटों चला खेल धूप की तपन सहते रहे मजदूर 

सौ का चालान कटवाओ पूरे शहर में घूमते रहो 

काम बंद होने से पार्सल पोट्रो के सामने भूखे मरने की नौबत

जबलपुर (संतोष जैन) - कोरोना महामारी सबसे ज्यादा मजदूरों के लिए आफत बन कर आई है अब तक देश के दूसरे राज्यों में फंसे श्रमिक सरकार द्वारा चलाई जा रही स्पेशल ट्रेनों के जरिए शहर पहुंच रहे हैं लेकिन यहां आने के बाद उन्हें गंतव्य तक पहुंचाने के लिए घंटों तक धूप में तपाया जा रहा है बसों में बैठने से पहले लिखा पढ़ी का घंटों तक खेल खेला जा रहा है माना कि मजदूरों का डाटा भी जरूरी है लेकिन लिखा पढ़ी तंबू लगाकर भी की जा सकती है ताकि मजदूर आग उगलते सूरज की तपन से बच सकें और बीमार होने की नौबत ना आए 

बस वाले तैयार कर रहे डाटा 

 Shramik स्पेशल ट्रेनों से शहर आ रहे मजदूरों के सामने नाकाफी साबित हो रही व्यवस्थाएं बसों में बैठने से पहले हो रहे हाला कान और परेशान

 100 का चालान कटवाए और पूरे शहर में घूमते रहो

 बादशाह हलवाई मंदिर के पास चालानी कार्यवाही पर उठाए सवाल लाग डाउन में जहां जिम्मेदार अधिकारियों को सुबह का नाश्ता करने तक की फुर्सत नहीं होती ऐसे समय में पुलिस की  कुछ टीम  बकायदा चालान  काटने का न केवल समय निकाल लेती हैं बल्कि उनके द्वारा दी जा रही समझाइश आम जनता की भी चुटकी लेते हुए सुनि जा रही हैं    चालान काटने के लिए खड़े सिपाही जरूरी काम से निकलने वालों को जबरन रोककर सो रुपए का चालान कटवाने की सलाह देते हैं बताया जाता है कि जो लोग सो रुपए का चालान दे देते हैं उन्हें आगे जाने दिया जाता है और जो लोग रुपए देने से इनकार कर देते हैं उनकी या तो गाड़ी जप्त कर ली जाती है या फिर वापस लौटने की सलाह दी जाती है 

काम बंद होने से पार्सल पुत्रों के सामने भूखे मरने की नौबत 

रेलगाड़ियों में लोडिंग अनलोडिंग करने वाले दिहाड़ी मजदूरों के घर में नहीं चल पा रहा  चूल्हा कई बार लगा चुके हैं मदद की गुहार वर्षों से दे रहे अपनी सेवाएं रेलवे स्टेशन पर लंबे समय से कार्य कर रहे  पुत्रों का कहना है कि यदि रेल विभाग ने उनकी समय रहते मदद नहीं की तो वे और उनका परिवार भूख से तड़प तड़प कर मर जाएगा क्योंकि संक्रमण के चलते जब से लोडिंग अनलोडिंग का काम बंद है तब से घरों में खाद्यान्न नहीं जा रहा है जो  अनाज जिनके पास था उसे 1 माह पहले ही खत्म कर चुके हैं अब ना तो खाने के लिए अनाज है और ना ही उसे खरीदने के पैसे ही बचे हैं

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