काम के बदले अनाज योजना के जरिए आदिवासी मजदूरों को राहत देने की तैयारी
पेटलावद की पूर्व विधायक निर्मला भूरिया ने मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चैहान से मुलाकात कर दिया सुझाव
झाबुआ (अली असगर बोहरा) - कोरोना महामारी ने लाखों लोगों के सामने रोजीरोटी का संकट खडा कर दिया है। सबसे ज्यादा परेशानी आदिवासी मजदूरों को उठानी पड रही है। गांवों में काम नहीं होने से उनके सामने परिवार की आजीविका चलाने की दिक्कत आ रही है। ऐसे में पेटलावद की पूर्व विधायक निर्मला भूरिया ने मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चैहान से मुलाकात कर आदिवासी मजदूरों को राहत देने के लिए जिले में काम के बदले अनाज योजना लागू करने का सुझाव दिया है। मुख्यमंत्री ने भी सुझाव को अमल में लाने को लेकर आश्वस्त किया है। गौरतलब है कि आदिवासी बहुल झाबुआ जिले से हर साल करीब एक लाख से अधिक आदिवासी मजदूर काम की तलाश में सीमावर्ती गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट आदि राज्यों का रुख करते हैं। कोरोना संक्रमण के चलते उन्हें वापस अपने गांव लौटना पडा है। ऐसे में वे बेरोजगारी के साथ ही कोरोना संक्रमण के दोधाारी आघात सहने को मजबूर है।हालांकि शासन की ओर से मनरेगा और नकदी आदि के माध्यम से कुछ सहायता जरूर दी जा रही है लेकिनवह नाकाफी है। लिहाजा यहां काम के बदले अनाज योजना काफी कारगर साबित हो सकती है।
इसलिए दिया सुझाव
पूर्व विधायक निर्मला भूरिया के अनुसार वर्ष 2004-05 में देश के अकालग्रसत् क्षैत्र के करीब 150 पिछडे जिलों में राष्टीय काम के बदले अनाज कार्यक्रम चलाया गया था। जिसके अंतर्गत जरूरतमंद लोग स्वयं के खेतों में मेडबंदी, खेतों की सफाई, पौधारोपण और सिंचाई के लिए नालियां आदि बनाते थे। इस अनुपात में उन्हें अनाज दिया जाता था। उस समय बनाया गया रुलर इम्प्लायमेंट एक्ट 2005 आज भी प्रभावशील है और ग्रामीण विकास मंत्रालय के माध्यम से भारत अनाज उपलब्ध करवाती है। सुश्री भूरिया के अनुसार इस अधिनियम के प्रावधानों के तहत भारत सरकार से अतिरिक्त खाद्यान प्राप्त किया जा सकता है। स्वयं के खेतों के अतिरिक्त इस योजना के अंतर्गत ग्राम पंचायत क्ष्ोत्र में आने वाले तालाबों, सिंचाई योजनाओं, भवन एवं सडक निर्माण तथा ग्रामीण एवं नगरीय सडकों के किनारे, शासकीय स्कूल, छात्रावास परिसरों व रहवासी बसाहटों के आसपास सार्वजनिक वृक्षारोपण भी कराया जा सकता है। इसके अलावा गांव के आसपास करीब 5 हेक्टेयर भूमि पर सामुदायिक वन क्षेत्र भी विकसित कराया जा सकता है। कोरोना संक्रमण काल में यह योजना गरीबों के लिए बेहद मददगार साबित हो सकती है। सुश्री भूरिया ने प्रस्तावित योजना व कार्यक्रम के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए किसी पूर्व विधायक की अध्यक्षता में एक जिलास्तरीय समिति गठित की जाने की बात भी मुख्यमंत्री के समक्ष रखी। जिसमें क्षेत्र के समाजसेवी संगठनों के प्रतिनिधि, जनपद पंचायतों के अध्यक्ष और ग्राम पंचायतों के सरपंच आदि को सदस्य नियुक्त किए जाने की भी बात रखी। प्रस्तावित गतिविधियों में स्थानीय लोगों की सक्रिय भागीदारी व लाभ निहित होने से ये योजनाएं सफल होगी और वर्तमान संक्रमण से मुक्ति का मार्ग आसान बनेगा।रेल परियोजना के कार्य को फिर से प्रारंभ करने की मांग
मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चैहान से मुलाकात के दौरान पूर्व विधायक निर्मला भूरिया ने क्षेत्र की बहुप्रतिक्षित रेल परियोजना इंदौर-दाहोद और छोटा उदयपुर-धार का मुददा भी उठाया। उन्होंने बताया रेल मंत्रालय ने दोनों रेल परियोजनाओं को ब्लॉक कर दिया है। इसे तत्काल राष्टृीय काम के बदले अनाज योजना में सम्मिलित कर पूर्ण करवाया जाए। पूर्व विधायक ने मुख्यमंत्री को बताया कि उक्त दोनों रेल परियोजना का शिलान्यास उनकी मौजूदगी में ही तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉरू मनमोहनसिंह ने किया था। मप्र में प्रवासी मजदूर आयोग बनाने की मांग
पूर्व विधायक निर्मला भूरिया ने रोजगार की तलाश में हर साल विभिन्न राज्यों में जिले से जाने वाले मजदूरों के हित संरक्षण् व आपदाओं के समय त्वरित सहायता के लिए उत्तरप्रदेश की तर्ज पर मप्र में भी प्रवासी मजदूर आयोग का गठन किए जाने की मांग रखी। क्योंकि मप्र से भी प्रतिवर्ष लाखों मजदूर रोजगेार की तलाश में हर साल विभिन्न राज्यों में जाते हैं।
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