बिगड़े सैलून व्यवसायियों की हालात
लाकडाऊन में तमाम युवा बने ऋषि-मुनि, अरे भाई...सैलून जो बंद है
समनापुर (पप्पू पड़वार) - जनपद मुख्यालय समनापुर में लाॅकडाऊन के कारंण सैलून की दुकानें पूरी तरह बंद पड़े हैं जिससे सैलून व्यवसायी काफी परेशान हैं, परिवार को दो वक्त की रोटी के लिए मोहताज होना पड़ रहा है।
‘कहते हैं इनके पुरखों ने इनसे कहा था कि हमारे हाथों में ऐसा हुनर है कि हम कभी हाथ और खाली पेट नहीं बैठ सकते. पर, कोरोना के डर से घरबंदी ने इन्हें पूरी तरह हताश कर दिया है. पिछले कई दिनों से जीवन के लिए जरुरी कुछ दुकानों को छोड़कर सैलून की दुकानों के साथ ही समनापुर में बाकी दुकाने बंद हैं इसके कारण सैलून व्यवसाय से जुड़े ये लोग घर बैठने को मजबूर हो गए हैं।
हमारे सामने जीने का सवाल है. देखिए साहेब, हम लोग भी रोज खाने और कमाने वाले लोग हैं..? इसलिए, काम बंद होने के बाद हमें भी भूखे मरने का डर सता रहा है हमारे पास किसी प्रकार की कोई जमीन भी नहीं है जिससे हम खेती-बाड़ी कर सकें, ऐसा कहना है समनापुर गांधी चौंक के निकट एक सैलून की दुकान चलाने वाले दिनेश उसराठे का,
वहीं सब्जी मंडी में सैलून की दुकान चलाने वाले संतराम उसराठे का कहना है की एक छोटे से टपरे में सैलून की दुकान चलाकर किसी तरह अपने परिवार का पालन पोषण करता आया हूँ परिवार में 6 सदस्य हैं अगर समय रहते सैलून की दुकान को छूट नहीं दी गयी तो कोरोना से तो नहीं, भुखमरी से जरूर हमारी मौत हो जायेगी ।
अन्य सैलून व्यवसायियों का कहना है, ‘कोरोना के संक्रमण से लड़ने के लिए वे राज्य सरकार के साथ खड़े हैं और इसके लिए सरकार के प्रयासों की सराहना भी करते हैं.’ साथ ही उनकी मांग है कि सरकार उनके समुदाय पर आए संकट पर ध्यान देते हुए उनके लिए तुरंत राहत उपलब्ध कराए.
हालांकि, इस स्थिति में सैलून व्यवसायिकों का एक वर्ग यह तर्क भी दे रहा है कि लोगों की दाढ़ी बनाने और उनकी हेयरकटिंग को भी सरकार एक आवश्यक उपक्रम माने और इस आधार पर सैलून की दुकानों को खोलने की अनुमति दे.
सैलून संचालकों का यह भी कहना है कि इसके लिए सरकार चाहे तो स्थानीय प्रशासन के माध्यम से सैलून की दुकानों के जरिए कोरोना का संक्रमण रोकने के लिए ‘सख्ती’ कर सकता है. इस दौरान सैलून की दुकानों पर ग्राहक और कामगारों को अपने चेहरे मास्क से ढकने, साबुन से हाथ धोने, सेनिटाइजर का उपयोग करने और सोशल डिस्टेंस का पालन करने जैसे बचाव के तरीके अपनाने के लिए बाध्य किया जा सकता है.
आज मुश्किल घड़ी में वे आम लोग और सरकार से मांग कर रहे हैं कि उन्हें आर्थिक संकट से उबारने के लिए जल्द ही कोई विकल्प तलाशा जाए।
*लाकडाऊन में तमाम युवा बने ऋषि-मुनि*
समनापुर मुख्यालय में रहने वाले एक सोनपाली परिवार के घर में कुछ ऐसा वार्तालाप मां और बेटे के बीच हो रहा था। रामायण देख चुके हो तो अब जाकर सेविंग भी कर लो। कितने दिन से कह रही हूं लेकिन तुम तो ऋषि- मुनि बनकर बैठे हो...। सभी दुकान तो बंद है मां, कहां जाऊं...। पिताजी का रेजर लेकर सीख क्यों नहीं लेते दाढ़ी बनाना...। नहीं, नहीं...मुझे डर लगता है। इन दिनों लॉकडाउन में यह हाल सिर्फ किसी एक घर का नहीं है, बल्कि काफी लोग ऐसे हैं जिनको यह बातें सुननी पड़ रही है।
वे खुद से सेविंग नहीं कर सकते हैं
कोरोना वायरस के चलते लॉकडाउन है। मुख्यालय के सैलून यानी नाई की दुकानें बंद हैं। इसके चलते तमाम युवा ही नहीं, सयाने भी परेशान हैं। उनकी भी दाढ़ी और सिर के बाल ऋषि-मुनियों जैसे बढ़ गए हैं। अलग-अलग हेयर स्टाइल और डिजाइनर कट दाढ़ी का शौक रखने वाले युवाओं को कुछ ज्यादा ही दिक्कत है, क्योंकि वह खुद से सेविंग नहीं कर सकते हैं। वहीं चैत्र नवरात्र का व्रत रखने के कारण भी तमाम लोग न तो सिर के बाल कटवा पाए थे और न ही दाढ़ी बनवा सके थे। नवरात्र बाद सैलून न खुलने से लोग परेशान हैं। कुछ दिन पहले समनापुर पुलिस ने भी दुकान खुलने पर सैलून संचालक के खिलाफ कार्रवाई की थी। ऐसे में दुकानदार भी भयभीत हैं और वह दुकान का शटर उठाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं।
कुछ लोग ऐसे भी हैं जो अपने ही घर पर नाई को बुलाकर बाल कटवा रहे हैं। हालांकि सेविंग कराने से पहले नाई से कई बार पूछते हैं किसी कोरोना वायरस के संदिग्ध के घर तो नहीं गए थे। वैसे घर-घर जाकर दाढ़ी व बाल बनाने की परंपरा पुरानी है, जो लॉकडाउन में एक बार फिर देखने को मिल रही है।
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