लॉक डाउन का सार्थक साहित्यिक उपयोग, 54 दिनों में 32 प्रतियोगिताएँ हुई आयोजित | Lock down ka sarthak sahityik upyog

लॉक डाउन का सार्थक साहित्यिक उपयोग, 54 दिनों में 32 प्रतियोगिताएँ हुई आयोजित

इन्दौर। विश्वबंदी और कोरोना के भय से समूचा विश्व भय और अवसाद का शिकार बनता जा रहा है। ऐसे कठिन काल में हिन्दी प्रचार के लिए प्रतिबद्ध मातृभाषा उन्नयन संस्थान द्वारा मातृभाषा सृजन एवं हिन्दीग्राम के माध्यम से लॉक डाउन एक, दो और तीन के चौवन दिनों में बत्तीस प्रतियोगिताएँ ऑनलाइन आयोजित करवाईं एवं साहित्यकारों को प्रमाणपत्र भी दिए।
इन प्रतियोगिताओं में ऑनलाइन कवि सम्मेलन, बाल कविताएँ लेखन, पत्र लेखन, डिजिटल समूह चर्चा, कहानी/लघुकथा लेखन, एक युद्ध कोरोना के विरुद्ध-वीडियो, हिन्दी प्रचार काव्य सृजन, कोरोना के विरुद्ध ऑनलाइन संकल्प, आलेख लेखन-अपनी भाषा हिन्दी, हिन्दी प्रचार काव्य प्रतियोगिता, ऑनलाइन पुस्तक चर्चा/ समीक्षा लेखन, मेरे प्रिय मंचीय कवि/ कवयित्री, आलेख लेखन- मेरा संस्थान:मातृभाषा उन्नयन संस्थान, लेख प्रतियोगिता-मेरे प्रेरणास्त्रोत, समाचार लेखन प्रतियोगिता, आदर्श वाक्य लेखन प्रतियोगिता, यात्रा वृतांत लेखन प्रतियोगिता, मैं मजदूर हूँ- काव्य लेखन, बालसागर चित्रकला एवं काव्य लेखन प्रतियोगिता, बाल कविता लेखन, आलेख लेखन: बुद्ध की शिक्षाएँ, संस्मरण लेखन, महाराणा प्रताप जीवन दर्शन लेखन, वात्सल्य रस कविता लेखन प्रतियोगिता, परिचर्चा: भारत कैसे बनेगा महाशक्ति, हास्य काव्य (प्रहसन) लेखन, व्यंग्य लेखन, विचार संगोष्ठी: भारत कैसे बनेगा आत्मनिर्भर?, लोरी लेखन, गीत लेखन प्रतियोगिता, अनुभव लेख, विज्ञापन लेखन जैसी प्रतियोगिताएँ आयोजित कर संस्थान द्वारा साहित्यकारों को अवसाद से बचने में सहायता की।
निःसंदेह यह संकट का समय है ऐसे दौर में संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. अर्पण जैन 'अविचल', राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष शिखा जैन, राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य भावना शर्मा, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष नीना जोशी ने मिलकर देश के विभिन्न प्रान्तों से जुड़े साहित्यकारों को सम्मिलित करके उन सभी के मनोबल को बढ़ाते हुए ऑनलाइन प्रमाण-पत्र भी प्रदान किए।
कोरोनाकाल में संस्थान का उद्देश्य यही रहा कि साहित्य और सृजन से जुड़े लोग अवसाद की गिरफ़्त में न आ पाएँ और स्वस्थ्य रहकर कार्य करें।
लॉक डाउन चार में संस्थान पुनः कोविड19 से सुरक्षा, अर्थव्यवस्था आदि विषयों को सम्मिलित करते हुए से डिजिटल परिचर्चा, व्याख्या आदि करेंगे।
संस्थान के राष्ट्रीय महासचिव कमलेश कमल, राष्ट्रीय सचिव गणतंत्र ओजस्वी, ओज के हस्ताक्षरिया कवि मुकेश मोलवा, भावना शर्मा, जलज व्यास आदि ने शुभकामनाएँ व्यक्त कीं एवं रचनाकारों को भी मनोरोगी बनाने से बचाने का कार्य भी जारी है ।

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