रोजा रख ईबादत कर देश से कोरोना महामारी से निजात की मांगी दुआएं
मुस्लिम समाज के पवित्र पर्व रमजान पर्व का हुआ आगाज
अलीराजपुर (रफीक क़ुरैशी) - गत शुक्रवार रात्री को रमजान का चांद दिखाई देते ही मुस्लिम समाज का रहमतो और बरकतो वाला पवित्र मुकद्दस पर्व रमजान माह का आगाज आज शनिवार के पहले रोजे से हो गया है। इस अवसर पर समाजजनों ने रोजा रखकर खुदा की ईबादत की ओर देर शाम 07 बजे रोजा इफ्तारी कर ख़ुदा की बारगाह में मुल्के हिंदुस्तान से कोरोना बीमारी से छुटकारा पाने की दुआएं भी मांगी। इस दौरान समाजजनों ने शासन-,प्रशासन की जारी लॉक डाउन का पालन कर अपने-अपने घरों में ही रहकर रोजा, नमाज़ ओर अन्य धार्मिक प्रकिया की।
*रोजे में सिर्फ रोजेदार भूखा, प्यासा ही नहीं रहता है बल्कि हर बुराई से महफूज रहता है*
मोलाना अख्तर रजा कादरी ने बताया कि रमजान का महीना बहुत ही मुकद्दस महिना है। अल्लाह के रसूल ने फरमाया कि शाबान मेरा महीना है और रमजान अल्लाह का महीना है। इस माह में एक नेकी का बदला सत्तर गुना बढ़ाकर बंदे के खाते में लिखा जाता है। रमजान के तीस रोजे बुराई से दूर रहने के संदेश के साथ-साथ गरीबों की भूख व प्यास का भी एहसास कराते हैं। उन्होने बताया कि इस महीने में रोजेदार नफ्स पर नियंत्रण करता है। रौजा एक पोशीदा ईबादत है। रोजे में सिर्फ रोजेदार भूखा, प्यासा ही नहीं रहता है बल्कि हर बुराई से वह महफूज रहता है। रमजान के महीने में जन्नत के दरवाजे खोल दिए जाते हैं और दोजख यानी नर्क के दरवाजे बंद कर दिए जाते हैं। इसलिए इस माह में किए गए अच्छे कर्मों का फल कई गुना ज्यादा बढ़ जाता है। इस महीने में अल्लाह से अपने सभी बुरे कर्मों के लिए माफी भी मांगी जाती है।
*रोजदारो को 14 घंटो तक भुख और प्यास को बर्दाश्त करना होगा*
हाफीज सैयद मोहसिन मियां ने बताया कि रमजान के द्धौरान अल्लाह रोजदारो के सब्र का ईम्तिहान भी लेगा। इस बार रोजदारो को 14 घंटो से अधिक समय तक भुख और प्यास को बर्दाश्त करना पडेंगा। भीषंण गर्मी में भूख-प्यास झेलकर बंदे अपने मालिक से मोहब्बत और अकीदत के साथ सब्र का नमूना भी पेश करना होंगा। उन्होने बताया कि रमजान पर्व को तीन प्रहर (हिस्सो) मे बांटा गया है। पहले रोजे से लेकर दसवे रोजे तक रहमतो का, दसवे से बिसवे रोजे तक जहन्नम (नरक) की आग से आजादी का एवं अंतिम व तिसरा प्रहर मगफिरत का है। रोजे की हालत में रोजदारो को झूठ बोलना, चुगली करना, गाली-गलौज करना और हर बुराई से बचना चाहिए। इधर दफ्तर दारुल कज़ात के प्रभारी शहर काजी सैय्यद हनीफ मियां के जारी संदेश अनुसार नगर के मुस्लिम समाजजनों ने कोरोना महामारी एवं जारी लॉक डाउन को देखते हुवे अपने घरों में ही रहकर रमजान पर्व की सम्पूर्ण धार्मिक प्रकिया पूरी कर रहे है। वही प्रशासन के आदेशानुसार इस बार जामा मस्जिद चोक पर शाम को रोजा इफ्तार के समय विशेष व्यंजनो के विभिन्न तरह के स्टालो की दुकानें नही लगाई जा रही है।
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