अंचल के ग्रामीणों को कोरोना महमारी से बचाव की आदिवासी बोली में काव्यात्मक प्रेरणा दी | Anchal ke gramino ko corona maha mari se bachao ki adivasi boli

अंचल के ग्रामीणों को कोरोना महमारी से बचाव की आदिवासी बोली में काव्यात्मक प्रेरणा दी

अंचल के ग्रामीणों को कोरोना महमारी से बचाव की आदिवासी बोली में काव्यात्मक प्रेरणा दी

थांदला (कादर शेख)  - कोरोना की जंग में लॉक डाउन का पालन करते हुए अनेक युवाओं का नया रूप देखने को मिल रहा है। हर व्यक्ति भारत से कोरोना भगाने के लिये प्रार्थना कर रहा है तो अपने आसपास भय के वातावरण को दूर करने का प्रयास भी कर रहा है। झाबुआ जिले के युवा तरुणाई भाजपा के जिला महामंत्री संजय कलसिंह भाबर (पूर्व एमएलए पुत्र) ने अंचल के ग्रामीणों को कोरोना महमारी से बचाव की आदिवासी बोली में काव्यात्मक प्रेरणा दी है।

भीली कविता (कोरोना के खिलाफ )

थोड़ो रोकय ज़ा रे मारा भाई

थोड़ो रोकय ज़ा रे मारा भाई 
नाना -नानी ने बापों आई 
सबने मारी एही राई 
थोड़ो रोकय ज़ा रे मारा भाई ||1||
                देह मा ऐवे सन्देश आयो 
                ज़ाणे कुण यो कोरोना लायो 
                ज़ाणे केवी है रे ये लाई 
                थोड़ो रोकय ज़ा रे मारा भाई -2 ||2||
तारा -मारा नी फिकर सबने 
सावधानी पण राखो हमणे 
मत उतावलो थाजे मारा भाई 
थोड़ो रोकय ज़ा  रे मारा भाई ||3||
      पेलो पुलिस वालों पण अपड़ो भाई 
      पेलो डॉक्टर पण अपड़ो भाई 
     तमु केम ऐना थी लफड़ो पाळो मारा भाई 
     थोड़ा रोकय ज़ा रे मारा भाई ||4||
गांव मा सरपंच राशन वाटे 
देह मा खचपच माशाण थया 
सरकारे पण किदू रा मारा भाई 
थोड़ा रोकय ज़ा रे मारा भाई ||5||
             रूपया नो कय काम नहीं है 
             मुख्या नी कोई हुणे नहीं है 
             खुद हारु ते रोका मारा भाई 
            थोड़ो रोकय ज़ा रे मारा भाई ||6||
सबने मारी केजों राम 
घेर मा करलो थोड़ो आराम 
हाटू मा फेर मलहू आपु, पण 
थोड़ो रोकय ज़ा रे मारा भाई ||7|| ।

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