आहार-पानी के चक्कर में राष्ट्रीय पक्षी मोर घूम रहे सुनी सड़को पर, कुत्तो के शिकार होने का बन भय
राष्ट्रीय मानवाधिकार एवं बाल महिला बाल विकास आयोग ने संबंधित अधिकारियों को आवेदन के माध्यम से कई बार करवाया अवगत
झकनावदा (राकेश लछेटा) - झकनावदा में राष्ट्रीय पक्षी मोरो की संख्या करीब 400 के आसपास है! व अभी वैश्विक महामारी (कोविड-19) कोरोना वायरस के चलते 3 मई तक लॉक डाउन भी बढ़ा दिया गया है! जिसके चलते राष्ट्रीय पक्षी मोर सूनी सड़कों पर आहार पानी के लिए आ जाते हैं व स्वयं मोर आहार पानी के जुगाड़ मैं सड़क पर तो आते हैं लेकिन वह आए दिन कुत्तों व जंगली जानवरों आदि का शिकार बन जाते हैं! इस हेतु देश की समाज सेवी संस्था राष्ट्रीय मानवाधिकार एवं महिला बाल विकास आयोग के प्रतिनिधि प्रदेश अध्यक्ष मनीष कुमट, संभागीय सचिव अरविंद राठौर , संजय व्यास, गोपाल विश्वकर्मा, जमनालाल चौधरी, विजय पटेल एवं उनकी टीम ने कई बार आवेदन के माध्यम से उच्च अधिकारियों एवं संबंधित अधिकारियों को अवगत करवाया गया था। साथ ही नगर में मोरों की संख्या करीब 400 के आसपास होने से नगर के आसपास मोर अभ्यारण केंद्र बनाने की मांग भी रखी गई थी! लेकिन इस राष्ट्रीय पक्षी मोर की ओर आज तक किसी का भी ध्यान आकर्षित नहीं हुआ! यदि इस प्रकार चलता रहा तो धीरे-धीरे हमारे देश के राष्ट्रीय पक्षी मोर की संख्या विलुप्त होती जाएगी! शासन को चाहिए कि हमारे देश के राष्ट्रीय पक्षी मोर हेतू जहां संख्या अत्यधिक है वहां मोर अभ्यारण केंद्र बनवाए जाएं ताकि हमारे देश के राष्ट्रीय पक्षी मोर सुरक्षित रह सके, एवं उनके दाना पानी की पर्याप्त व्यवस्था हो सके ! जबकि आस्ट्रेलिया के राष्ट्रीय पक्षी खरमोर के लिए हमारे देश में कई जगह कई बीघा जमीनों को तार फेंसिंग वॉल बाउंड्री बनाकर सुरक्षित रखा गया है वही हमारे ही देश के राष्ट्रीय पक्षी मोरो के लिए ऐसा कुछ नहीं आखिर क्यों ? इसके साथ ही राष्ट्रीय पक्षी मोर एवं जीव दया समिति झकनावदा के अध्यक्ष हरिराम पड़ियार ने बताया कि हमारे द्वारा भी झकनावदा में मोर अभ्यारण बने इस हेतु निरंतर कई वर्षों से प्रयास किए जा रहे हैं लेकिन शासन प्रशासन इस ओर कोई ध्यान आकर्षित नहीं कर रहा है ! ठाकुर जगपाल सिंह राठौर का कहना है कि मोर हमारे रावले में बड़ी संख्या में है वह हम तो उनके दाना पानी की व्यवस्था करते ही हैं साथ ही झकनावदा क्षेत्र के कई सामाजिक संगठन भी इनके लिए बहुत कुछ कर रहे हैं लेकिन शासन प्रशासन यदि इस और ध्यान दें और मोर अभ्यारण केंद्र बन जाए तो मोरों के लिए बहुत बड़ी समस्या का समाधान हो जाएगा वह बिना वजह किसी जानवर के यह शिकार नहीं होंगे ।
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