सत्ता में कमल खिला और कमलनाथ हुए सत्ता से दूर
झाबुआ जिले की भाजपाई राजनीति हुई गर्म
कांग्रेसजनों में छाई घोर मायूसी
झाबुआ (मनीष कुमट) - मप्र में 20 मार्च, शुक्रवार को राजनीतिक परिवर्तन की दृष्टि से वह ऐतिहासिक दिन रहा, जब एक दिन पूव्र माननीय सुप्रीम कोर्ट की ओर से मप्र की वर्तमान कांग्रेस सरकार को फलोर टेस्ट के लिए न्यौता दिया गया, जबकि उसी दिन देर रात्रि में कांग्रेस से जुड़े करीब 21 विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष (स्पीकर) के माध्यम से इस्तीफे की पेषकष करते हुए कांग्रेस सरकार को अल्प बहुमत में कर दिया। कांग्रेस सरकार को सपा, बसपा एवं निर्दलीय विधायकों को भी समर्थन नहीं मिला। जिसके चलते शुक्रवार को दोपहर 12 बजे मप्र के वर्तमान मुख्यमंत्री कमलनाथ ने मीडिया के माध्यम से इन परिस्थितियों का ढीकरा भाजपा पर फोड़ते हुए एवं भाजपा को जमकर कोसते हुए मप्र के महामहिम राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंप दिया।
जिसके बाद मप्र में चौथी बार फिर से भाजपा की सरकार बनने एवं सरकार के मुखियां पुनः षिवराजसिंह चौहान बनने की पूर्ण संभावना हो गई है। वर्तमान मुख्यमंत्री कमलनाथ द्वारा महामहिम राज्यपाल को इस्तीफा देने के साथ ही भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व की बैठक में भाजपा द्वारा बहुमत साबित कर सरकार का मुखिया षिवराजसिंह चौहान को बनाने पर तत्काल सहमति बन गई। संभावना है कि 21 मार्च, शनिवार को अभी तक मप्र मेंं विपक्ष में बैठी भाजपा की ओर से राज्यपाल के सम्मुख बहुमत साबित करने के साथ नए मुख्यमंत्री के रूप में षिवराजसिंह चौहान द्वारा शपथ भी ग्रहण कर ली जाएगी।
*प्रदेश की राजनीति में आएगा बड़ा उल्ट-फैर*
मप्र में कांग्रेस की सरकार एक साल और करीब 4 महीने तक रहीं, उसके बाद अगले करीब साढ़े तीन साल तक भाजपा की सरकार बनेगी, चूंकि भाजपा के पास विधायकों को पूर्ण बहुमत है। इसके साथ ही मप्र की सियासत के साथ संपूर्ण प्रदेष में एक बड़ा उल्ट-फैर होगा। भाजपा की ओर से नए मुख्यमंत्री के रूप में षिवराजसिंह चौहान द्वारा शपथ ग्रहण करने के साथ ही आगामी दिनों में संपूर्ण मंत्रिमंडल का गठन किया जाएगा। इसके साथ प्रदेष में जो भाजपाई विधायक सत्ता के सुख से विमुख थे, वह सत्तारूढ़ पार्टी के विधायक होकर उनका ओहदा एवं दबादबा बढ़ने के साथ प्रदेष में भाजपा संगठन और भाजपा पदाधिकारी तथा कार्यकर्ता भी इससे मजबूत होंगे। उधर इसका असर प्रषासनिक मिषनरी पर भी पड़ना स्वभाविक है। बड़े एवं उच्च स्तर पर कई अधिकारियों के तबादले हो सकते हे।
झाबुआ-आलीराजपुर में सांसद भाजपा के तो पांचों विधायक कांग्रेस के
उधर सत्ता से कमलनाथ की छुट्टी होते ही एवं कमल खिलने की संभावना के साथ ही पूरे प्रदेष में कांग्रेसजनों में जैसे घोर मायूसी छा गई है। उधर शुक्रवार को पूरे प्रदेष में भाजपा पदाधिकारी एवं कार्यकर्ताओं ने जष्न मनाते हुए आतिष्बाजी की एवं जमकर खुषियां मनाइ्र्र। कांग्रेसजनों में घोर मायूसी के बीच निराषा का माहौल देखा गया। झाबुआ और आलीराजपुर जिले की राजनीति की बात की जाए, तो दोनो जिलों में वर्तमान में पांचों विधायक कांग्रेस के हे, तो सांसद भाजपा के, ऐसे में निष्चित तौर इस बदलाव का असर दोनो जिलों की राजनीति पर देखने को मिलेगा। कांग्रेसी विधायकों को बीजेपी की सत्ता के साथ तालमेल बिठाने में काफी दिक्कते आएगी वहीं इससे भाजपा के सांसद का कद बढ़ाने के साथ दोनो जिलों में भाजपा जिलाध्यक्ष एवं भाजपा पदाधिकारी तथा कार्यकर्ता भी मजबूत होंगे। आगामी दिनों में बैंकों, सोसायटियों, भंडार, कॉलेज जनभागीदारी समिति के अन्य छोटे-मोटे पदों में भी बदलाव देखने को मिलेगा। अब देखना तो यह है कि आगामी समय में दोनो जिलों में सियासी पारा किस कदर उफान पर चढ़ता है एवं इस बदलाव से क्या नए जोड़-तोड़ और रस्सी-कस्सी होती है .... ?
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