केंद्रीय विद्यालय के अंशकालिक शिक्षकों की चयन प्रक्रिया आरोपों के घेरे में | Kendriy vidhyalaya ke anshkalik shikshako ki chayan prakriya aropo ke ghere main

केंद्रीय विद्यालय के अंशकालिक शिक्षकों की चयन प्रक्रिया आरोपों के घेरे में

विद्यालय के vmc मेंबर और पदस्थ शिक्षक की पत्नी के चयन पर उठते सवाल

केंद्रीय विद्यालय के अंशकालिक शिक्षकों की चयन प्रक्रिया आरोपों के घेरे में

डिंडौरी (पप्पू पड़वार) - विगत दिनों केन्द्रीय विद्यालय द्वारा वर्ष 2020 – 21 के लिए अंशकालिक शिक्षकों के पैनल का चयन किया गया और सूची भी जारी कर दी गई। चयनित सूची जारी होने के बाद ये सूची विवादों में आ गई, चयन की प्रक्रिया पर सवाल खड़े किए जा रहे है। पक्षपातपूर्ण कार्यप्रणाली एवम् चयन में गड़बड़ी के आरोप जांच के दायरे में तो आते ही है दूसरा इस तरह के प्रयास करने वाले विद्यालय के लोगो के विरूद्ध कार्यवाही भी आवश्यक है वहीं इस पूरे मामले में मुख्यतः शाला के जवाबदार प्राचार्य की भूमिका भी जांच के दायरे में आती है।

चुकीं केन्द्रीय विद्यालय की समिति के अध्यक्ष जिला कलेक्टर महोदय होते है अतः गलत तरीके अपनाकर निर्णय लिए जाने व सर्वाधिक विश्वसनीय शिक्षा संस्थान के अध्यक्ष जिला कलेक्टर को भी अंधेरे में रखने वाले जिम्मेदार लोगो के विरूद्ध कार्यवाही अपेक्षित है।

क्या है मामला

जिन आवेदकों ने इस हेतु आवेदन किया था उनके द्वारा खड़े किए जा रहे सवालों के अनुसार जो चर्चा है कि चयनित सूची के अनुसार अग्रेजी विषय में पी जी टी के चयन हेतु बैठे पैनल में विभाग के टी जी टी रामबिहारी ने साक्षात्कार लिया जिनकी शैक्षणिक योग्यता पी जी टी से कम होती है। प्राइमरी का शिक्षक मिडिल और हाई स्कूल के शिक्षक का साक्षत्कार कैसे ले सकता है? इसके बाद इससे भी बड़ी बात ये हुई कि इस ही विद्यालय के इसी शिक्षक की पत्नी का चयन अंशकालिक शिक्षक के पैनल में प्रथम स्थान पर किया गया है। चित्रा चतुर्वेदी इस ही विद्यालय के ट्रेंड शिक्षक रामबिहारी की पत्नी है और उन्हें इनके चयन हेतु बनाए गए पैनल में कम शैक्षणिक योग्यता के बाद भी रखा गया तब इस पर भेदभावूर्ण चयन के आरोप लगाए जाना गैरवाजिब तो नहीं ठहराए जा सकते है।

इसी तरह संस्था की vmc कमेटी की अभिभावक सदस्य परनीता के चयन पर भी विवाद है।विद्यालय द्वारा प्रकाशित विज्ञापन में साफ तौर पर कंडिका तीन में अंकित था कि जो भी आवेदक पूर्व में शिक्षण सत्र के बीच में पिछले वर्षो में अध्यापन छोड़ कर गए है वे आवेदन न करे। किन्तु इनके द्वारा पूर्व में इसी विद्यालय में पूर्व में अधूरे सत्र में छोड़ कर जाने की चर्चा है और जो आरोप लगाए जा रहे है उनकी जांच आवश्यक है। यदि इस तरह का नियम संस्था ने जारी किया था तो फिर उनका आवेदन ही रद्द किया जाना था पर ऐसा नहीं किया गया । इनका नाम सूची में तीसरे स्थान पर रखा गया है जबकि इनका आवेदन रद्द होना चाहिए था पहले स्थान पर जिन शालिनी सिंह का नाम है वे इसी शाला के पैनल में पी जी टी रसायन विषय में चयनित की गई है।और नियम विरूद्ध आवेदन स्वीकार करना तथा vmc कमेटी सदस्य का ही अंशकालिक शिक्षक के लिए चयन किया जाना आरोपों के घेरे में जरूर आता है।

इसी तरह कम्प्यूटर इंस्ट्रक्टर के साक्षात्कार में विद्यालय के लिपिक शशिकांत के दखल दिए जाने की भी चर्चाएं है। इस चयन पर भी आरोप लगाए जा रहे है।

क्या कहते है प्राचार्य

चयन की इस प्रक्रिया पर उठाए जा रहे सवालों पर हमारे प्रतिनिधि ने प्राचार्य से चर्चा कि तब उन्होंने दिखवा लेते है जैसा गोलमाल जवाब दिया और इन तत्वों और नियमों में कोताही पर कोई साफ सा जवाब नहीं दिया।

इस तरह से केन्द्रीय विद्यालय वर्ष 2020 -21 के लिए चयनित अंशकालिक शिक्षकों के चयन की प्रक्रिया पर बड़े सवाल लग रहे है, जिसके प्रमाणित तत्व भी है जो कि इसमें पारदर्शिता की कमी, नियमों की अनदेखी उजागर कर रहे है। इस विवादित सूची को रद्द कर पुनः जिला कलेक्टर की निगरानी में गठित टीम की देखरेख में नए सिरे से आवेदकों का चयन किया जाना चाहिए क्योंकि और भी चयनित लोगो के पीछे गड़बड़ी का अंदेशा जाहिर किया जा रहा है। नए सिरे से अंशकालिक शिक्षकों के चयन की प्रक्रिया अपनाए जाने की जनापेक्षा है।

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