बच्चों ने ली शपथ, कंडों की होली जलाएंगे, दूसरों को भी करेंगे प्रेरित
डिडौरी (पप्पू पड़वार) - डिंडौरी जिला सहित ग्रामीण क्षेत्रों में आरम्भ किए गए आओ जलाएं कंडे की होली अभियान के अंतर्गत समनापुर कस्बे के बच्चों ने भी सामूहिक रूप से शपथ ली है कि वह इस बार भी कंडे की ही होली जलाएंगे । अपने कस्बे और गांव में अन्य लोगों को भी प्रेरित करेंगे कि वह भी कंडों की होली जलाएं। यह हमारे त्यौहारों के लिए एक सीख देता है। त्यौहार मनाएं लेकिन पर्यावरण को भी बचाने की दिशा में अपनी जिम्मेदारी को निभाएं। बच्चों की पहल को वह जन-जन की पहल बनाने के लिए सभी को प्रेरित करेंगे।
समाज के जिम्मेदार लोगों ने कहा कि वह अभियान का हिस्सा बनेंगे और कंडे की होली के लिए प्रोत्साहित करेंगे। यह हमारी सांस्कृतिक विरासत है
समनापुर के कई प्रबुद्घजनों व प्रतिष्ठित नागरिकों ने अपनी-अपनी बात रखते हुए कहा कि यह पहल सराहनीय कदम है। इस पहल को जन-जन की पहल बनाने में वह सहयोग प्रदान करेंगे। स्वयं भी कंडे की होली ही जलाएंगे और अपने सभी मिलने वालों से भी आव्हान करेंगे कि वह कंडों की ही होली जलाएं। कंडों की राख हमें हमारी संस्कृति से अवगत कराती है।
स्थानीय चंद्रप्रकाश राय ने कहा कि प्रहलाद को जलाने के लिए जो अग्नि प्रज्ज्वलित की गई थी उसमें उसकी बहन होलिका को भी बैठाया गया था। उस समय भी कंडों की होली का ही उपयोग हुआ था। कंडों की होली जलाने से वातावरण को प्रदूषित होने से बचाया जा सकता है। कंडों का उपयोग हम होली के दिन करें। इसके लिए यह सराहनीय कदम है। जहां तक हो कंडों को उपलब्ध कराने के लिए भी अधिकतम प्रयास किए जाएं और होली के दिन इस बात पर विशेष ध्यान दिया जाए कि कहीं से कोई पेड़ काटकर न ला सके। यदि कोई इस तरह का प्रयास होता है तो सख्ती से कार्रवाई की जाए। अशोक कुमार शर्मा ने कहाकि कंडों की होली जलाने से पेड़ों को कटने से बचाया जा सकेगा। हमारी संस्कृति में कंडों की राख अत्यंत उपयोगी मानी गई है। कंडों की होली जलाने के दौरान इस बात का ध्यान रखे कि होलिका दहन में हमारी संस्कृति और धार्मिक महत्व का ध्यान रखा जाए।
ब्राम्हण समाज के राजेन्द्र प्रसाद शुक्ला ने कहा कि होली जलाने की परंपरा अत्यंत पुरानी है। हमें अपनी प्रकृति से खिलवाड नहीं करना चाहिए। यदि वातावरण हरा-भरा नहीं होगा, पेड़ नहीं होंगे तो मनुष्य का जीवन भी खतरे में पड़ जाएगा। मनुष्य जब जाता है तो अपने साथ एक पेड़ के बराबर लकड़ी लेकर जाता है, लेकिन जीवन में एक पेड़ नहीं लगाता। जब पेड़ नहीं लगा सकता तो उसे काटने का भी अधिकार नहीं है। इसलिए कंडे की ही होली जलाई जाना चाहिए।
समनापुर जनपद सीईओ एल.एल.धुर्वे ने कहा कि कंडे की होली जलाने के लिए सब के साथ और सबके सहयोग की जरूरत है। इसके प्रशासनिक स्तर पर भी आदेश पूर्व में जारी किए गए थे। अब भी जारी किए जाना चाहिए। होली जलाते समय ध्यान रखे कि जिस जगह होली जला रहे है वहां होली दहन से सड़कें खराब न हो। पहले एक नीचे प्लेटफार्म तैयार करे इसके बाद कंडों की होली जलाएं। कंडों में यदि गाय के गोबर से बने कंडें हो तो और भी श्रेष्ठ है। गाय के गोबर में आक्सीजन मिलती है। साधू संत भी अपने जीवन में कंडे की राख का ही अपने शरीर पर उपयोग करते हैं। वह इस अभियान को जन-जन का अभियान बनाने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे।
अभियान में प्यारी चिया, विवेक पड़वार,ओम साहू,श्रेष्ठ खैरवार,ज्योति मरकाम ओम सोनी, श्रृष्टि खैरवार,नव्या बघेल,मोनू मरकाम आदि बच्चों ने भाग लिया ।
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