किसान का बेटा जज बनना चाहता है करता है खूब मेहनत
दुकान लगाकर गाँव-गाँव फल बेचकर पड़ना चाहता है गोलू
थांदला (कादर शेख) - आज के समय में बच्चा पैदा होने के साथ ही मोबाइल की जिद करने लग जाता है। खेल -कूद, नाच - गाना शरारत करना बच्चों को खूब भाता है वही पढ़ाई - लिखाई से दूर भागता है। आज सभी सुविधाओं के होने के बावजूद जहाँ बच्चें पढ़ना नही चाहते है वही वनांचल में ग्राम झापादरा में रहने वाले भगत किसान मल्ला चरपोटा का छोटा बेटा 9 वर्ष का नन्हा गोलू जज बनना चाहता है।
झापादरा के मिशन स्कूल में कक्षा पाँचवीं में पढ़ने वाला गोलू बच्चों के लिये एक प्रेरणा है। सुबह उठकर पढ़ना फिर स्कूल जाना व आकर अपने पापा के काम मे हाथ बटाना व फुटकर दुकान चलाना उसके लिए सहज है। यही नही साइकिल से आस-पास के गाँव जाकर फल आदि बेचकर आना भी उसे पसंद है। बचपन खेल-कूद का समय है लेकिन गोलू के पिता बताते है कि उसे खेल-कूद व मौज-मस्ती व उत्सव आदि में ज्यादा रुचि नही है वह तो पढ़ने में व दुकान चलाने में रुचि रखता है।
अपनी आगे की पढ़ाई के लिए स्वयं पैसों का इंतजाम करने के लिये गोलू खुद ही माल की खरीदी करता है व उसे थांदला - लिमड़ी मार्ग पर परवलिया फंटे पर किराये की दुकान लगाकर बेचता है। उसके बड़े भाई व पिता की यही निकट में जमीन भी है वे खेती करते है गोलू उनकी भी मदद करता है। राष्ट्रीय मानवाधिकार एवं महिला बाल विकास आयोग की सम्भागीय अध्यक्ष सुमित्रा राजू मेड़ा की नजर जब इस नन्हे बालक पर पड़ी तो पहले बाल श्रमिक का मामला समझा लेकिन बच्चे से बात करने पर जब उसके काम करने व उसके जज बनने की महत्वाकांक्षी सपने को सुना तो निश्चित यह बालक आइकॉन लगा। उन्होंने उनके पिता से बात कर उसे आगे पढाते हुए उच्च शिक्षा के लिये प्रेरित कर शासन - प्रशासन व संगठन से हर मदद का आश्वासन दिया।
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