विक्रम विश्वविद्यालय में राजा भोज के व्यक्तित्व और कर्तव्य पर व्याख्यान आयोजित | Vikram vishvavidyalay main raja bhoj ke vyaktitv or kartavya
विक्रम विश्वविद्यालय में राजा भोज के व्यक्तित्व और कर्तव्य पर व्याख्यान आयोजित
उज्जैन (रोशन पंकज) - गत दिवस महाराजा विक्रमादित्य शोधपीठ संस्कृति विभाग मध्य प्रदेश शासन और सिंधिया प्राच्य विद्या प्रतिष्ठान विक्रम विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में वसन्तोत्सव के अन्तर्गत मालवा के प्रतापी सम्राट राजा भोज के व्यक्तित्व और कर्त्तव्य पर विश्वविद्यालय के कालिदास सभागार में व्याख्यान आयोजित किया गया।
कुलपति डॉ.बालकृष्ण शर्मा ने व्याख्यान में अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि सरस्वती भोज की आराध्या रही है। राजा भोज के बारे में कहा गया है कि भोज ने दान, धर्म, साहस, पर्यावरण संरक्षण और विद्वानों को आश्रय ही नहीं दिया, बल्कि वे सभी क्षेत्रों में अनुपम कार्य करने वाले लोकप्रिय विद्वान और विजयी शासक थे। ऐसे सम्राट भोज के व्यक्तित्व में शास्त्र और शस्त्र का अदभुत समन्वय था।
कार्यक्रम में विशेष अतिथि पूर्व निदेशक महाराजा विक्रमादित्य शोधपीठ डॉ.भगवतीलाल राजपुरोहित और उपाचार्य पाणिनी संस्कृत एवं वैदिक विश्वविद्यालय डॉ.तुलसीदास परोहा थे। स्वागत उद्बोधन देते हुए राष्ट्रीय सेवा योजना के समन्वयक डॉ.प्रशांत पौराणिक ने राजा भोज के कार्यों को रेखांकित करते हुए सरस्वती कंठाभरण सरस्वती मन्दिर भारत के शैव मन्दिरों में योगदान आदि पर प्रकाश डाला।
प्राचीन भारतीय इतिहास अध्ययनशाला के विभागाध्यक्ष डॉ.रामकुमार अहिरवार ने राजा भोज के साहित्य एवं मालवा के विकास के कार्यों पर प्रकाश डाला। डॉ.आरसी ठाकुर ने राजा भोज की मुद्राओं और नगरीकरण में योगदान को रेखांकित किया। डॉ.परोहा ने श्रृंगार प्रकाश ग्रंथ में वर्णित विषय सामग्री पर प्रकाश डाला। उल्लेखनीय है कि श्रृंगार प्रकाश के 26वे अध्याय में भोज पर विस्तृत विवरण मिलता है। कार्यक्रम में डॉ.राकेश ढंड, डॉ.शितांशु रथ और डॉ.प्रकाशेन्द्र माथुर ने अतिथियों का पुष्पमाला और शाल, श्रीफल भेंट कर स्वागत किया।
इस अवसर पर कार्यक्रम संयोजक डॉ.रमण सोलंकी ने बताया कि वसन्तोत्सव सरस्वती पूजा से प्रारम्भ होता है। परमार शासक भोज ने मालवा में सरस्वती मन्दिरों का निर्माण धार, माण्डव और उज्जैन में किया था। वे विद्वान थे, इसीलिये वसन्त पंचमी के अवसर पर यह कार्यक्रम मध्य प्रदेश शासन के महाराजा विक्रमादित्य शोधपीठ और विक्रम विश्वविद्यालय द्वारा किया गया।
डॉ.भगवतीलाल राजपुरोहित ने राजा भोज को वीर, विजेता, धर्मप्रेमी, संस्कृति का संरक्षक, विद्वान और विद्वानों का आश्रयदाता शासक बताया। वसन्तोत्सव पर राजा भोज का स्मरण सन 1957 से धार में निरन्तर मनाया जाता है। कार्यक्रम का संचालन डॉ.प्रियंका चौबे ने किया और आभार प्रदर्शन डॉ.प्रकाशेन्द्र माथुर द्वारा किया गया।
Comments
Post a Comment