जिले मे शीत लहर का प्रकोप जारी, कपकपाती ठंण्ड ओर ठिठुरन से बदली नागरिकों की दिनचर्या | Jile main shit lehar ka prakop jari

जिले मे शीत लहर का प्रकोप जारी, कपकपाती ठंण्ड ओर ठिठुरन से बदली नागरिकों की दिनचर्या

जिले मे शीत लहर का प्रकोप जारी, कपकपाती ठंण्ड ओर ठिठुरन से बदली नागरिकों की दिनचर्या

आलीराजपुर (रफीक क़ुरैशी) - जिले मे बीते दिनो से ठंण्ड का प्रकोप बढ़ गया है। जिसके चलते जिलेभर मे शीत लहर का प्रकोप बढ गया है। पिछले दिनो में ठंड संपुर्ण जिले को अपने आगोस में ले लिया है, पुरा जिला ठंड की चपेट में है। ठंण्डी के कारण बाजारो की रोनक भी खो गई है। ठंण्ड के कारण आमजन सुबह 11 बजे से पहले बाजार में नही आ रहे है। वही देर शाम होते ही नगर के प्रमुख मार्गो एवं सड़को पर सन्नाटा छाने लगा है। लोग सर्दी से बचने के लिए गर्म कपड़े तथा अपनी दुकानो के सामने आग को सेंकते रहे। कपकपी ठंण्ड के बिच नगर मे कभी धुप निकलती हे तो कभी नही निकलती है। लेकिन ठंडी हवा के कारण दिनभर कनकनी बनी रहती हे। मोसम वैज्ञनिको के अनुसार आगामी सप्ताह तक ठंड का असर पुरे क्षेत्र में रहेगा। ठंड बढने से जनजीवन पर भी अच्छा खासा असर पढ़ा है। अधिकतम पारा गिरकर 22 से 24 डिग्री व न्युनतम पारा 6.8 पर पहुंच गया है। ठंड के साथ हल्की हवा के कारण कनकनी का असर बढ़ गया है। ठंण्डी का असर बसों में भी देखा जा रहा है। सुबह निकलने वाली बसों में यात्रियो की भीड़ नजर नही आ रही है। वहि रात्री के समय आमजन ठंण्ड से बचने के लिए अलाव का सहारा ले रहे हे। नगर के कई प्रमुख मार्गो पर लोग अलाव मे हाथ सेकते हुए दिखाई दे रहे है। जिले के किसानों का मानना है कि पड़ रही भारी ठंड गेंहू की फसल के लिए पुरी तरह लाभदायक है, जितनी ज्यादा ठंड पढ़ेगी फसलों को उतना ही फायदा है।

बढ़ने लगीं मोसमी बिमारियां

लगातार बढ़ रही इस ठंड से अस्पतालों में भी मरिजो की संख्या बढ़ रही है। खासतौर पर बच्चे और वृद्धजनों पर इसका खासा असर पढ़ा है। उन्हें संभलकर रहने की सलाह डाक्टर द्वारा दी जा रही है। विषेेषकर सर्दी, खासी, सिरदर्द, बुखार और निमोनिया जैसी बिमारी बढ रही है। इसके बचाव करना जरूरी है। चिकित्सक डाक्टर आर. मण्डल का कहना है कि डायबिटीज के मरीजों को सर्दी के मौसम में ग्लुकोज स्तर को नियंत्रित रखना चाहिए। साथ ही अपने पैरों और आंखो पर विषेष ध्यान देना चाहिए। श्री मंडल का कहना है कि सर्दियो में व्यायाम की कमी और मेटाबाॅलिक प्रक्रिया बदलने के कारण ग्लुकोज अनियंत्रित हो जाता है। दुसरी सबसे बड़ी दिक्कत पैरों की सूजन की भी होती है। यदि खुन में ग्लुकोज की मात्रा 250 एमपीजीडीएल से अधिक आ रही है तो पैशाब में कीटोंस की जांच कराए। हरी सब्जियां व रेशेदार फलों का सेवन करें।

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