शबरी धाम छापरी में हुआ पंडित कमल किशोर जी नागर की भागवत कथा का भव्य समापन | Shabri dham chhapri main hua pandit kamal kishore ji nagar ki bhagwat katha

शबरी धाम छापरी में हुआ पंडित कमल किशोर जी नागर की भागवत कथा का भव्य समापन

भगवान महावीर स्वामी का उदाहरण देते हुए भक्तो से अहिंसा के मार्ग पर चलने का आह्वान किया

शबरी धाम छापरी में हुआ पंडित कमल किशोर जी नागर की भागवत कथा का भव्य समापन

कालीदेवी (मनीष कुमट) - शबरीधाम छापरी में भागवत कथा के सातवें दिन समापन अवसर पर भी भक्तों का सैलाब उमड़ा। हजारों की संख्या में दूरदराज से आए श्रद्धालु भजनों की धुन पर भक्ति में नृत्य कर भावविभोर हो गए। इस मौके पर व्यासपीठ पर विराजित मालव माटी के प्रख्यात संत पं. कमलकिशोरजी नागर ने भगवान महावीर स्वामी का उदाहरण देते हुए लोगों से अहिंसा के मार्ग पर चलने का आह्वान किया। उन्होंने यह भी कहा कि कोई भी अच्छा कार्य करता है तो उसकी टांग मत खींचो, बल्कि उसकी प्रशंसा कर सहयोग करो।

कथा बांचते हुए नागरजी ने कहा कि धर्मसभा एक सभ्य सभा है जहां हमेशा शांति मिलती है। अपन प्रभु की भक्ति में लीन रहते हैं। आप धर्मसभा में चाहे 5 घंटे बैठो, 10 घंटे मिटाओ, लेकिन आपको उठने की इच्छा नहीं होती। इससे यह प्रतीत होता कि ईश्वर आज भी है। श्रद्धा से सच्चे मन से अगर प्रभु की भक्ति करोगे, सेवा करोगे तो भगवान की प्राप्ति होगी। पं. नागरजी ने युवाओं को कथा स्थल पर सभी समाजजन सभी वर्ग के लोगों के साथ वचन दिलवाया कि आप धर्म के रास्ते पर चलो। हमारा समाज विकास करेगा। समाज में एकता से काम करो। धर्म के प्रति आस्था रखो। यह मत देखो कि यह तो वह कर लेगा, बल्कि यह सोचकर करो कि सब अपना ही काम है। जितना लंबा सोचोगे, अपने आप को उतना ही विराट पाओगे। कथा के दौरान नागरजी ने यजमान परिवार दिनेश अमलियार की प्रशंसा की और कहा कि एक आदिवासी अंचल में इतिहास था और सफल कथा का आयोजन अपने आप में एकता का प्रतीक है। इसको सदैव निरंतर चलाए रखना। किसी भी धार्मिक या मंदिर या भागवत कथा में जाना हो तो आमंत्रण की रास्ता मत देखो, बल्कि स्वयं चले जाओ। वहां व्यवस्था मत देखो, बल्कि स्वयं सुविधा ढूंढो तो ही आप मन लगाकर वहां प्रभु की भक्ति कर सकते हो। कथा सुनने के लिए क्षेत्रीय विधायक वालसिंह मेडा भी उपस्थित आए थे। आयोजन को सफल बनाने में समिति के प्रमुख दिनेश अमिलियार, रामलाल भूरासर, कर्मेंद्र सर, खुमान अमलियार, रूपसिंह मोरी, दल्ला भूरा, मंजी राठौर, रूपसिंह बोरचा, पूनम सिंह, शंकर सिंह निनामा, सूरज पंडा आदि कार्यकर्ताओं और समाज के सभी वर्गों ने सराहनीय भूमिका निभाई।

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