दिव्यांग सुनीता को मिला छात्रावास का सहारा
अब बिना किसी व्यवधान के पढ़ाई कर सकेगी सुनीता
बालाघाट (देवेन्द्र खरे) - गरीब परिवार की सुनीता को वकालत और कानून की पढ़ाई करने में अब कोई परेशानी नहीं होगी। दिव्यांग होने के कारण उसे अपने गांव से हर दिन कालेज आने में भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता था। लेकिन अब उसकी यह परेशानी दूर हो गई है । जिला प्रशासन ने सुनीता के रहने के लिए कन्या छात्रावास में इंतजाम कर दिया है।
जिला मुख्यालय बालाघाट से लगभग 15 किलोमीटर की दूरी पर बोदा गांव है। सुनीता चिखलोंडे इसी गांव की रहने वाली है। उसके पिता छोटे से किसान है। एक भाई और चार बहनों में वह सबसे छोटी है। उसकी सभी बहनों एवं भाई की शादी हो चुकी है। भाई भी भरवेली में फोटोकापी की दुकान चलाता है। सुनीता बचपन से ही दोनों पैरों चलने में अक्षम है। जिसके कारण उसे बैसाखी का सहारा लेना पड़ता है। सुनीता ने पढ़ाई के प्रति ललक और आगे बढ़ने की दृढ़ इच्छा शक्ति के चलते किसी तरह मुश्किलों से जूझते हुए अच्छे अंकों के बीए कर लिया है। बीए करने के बाद उसने शासकीय जटाशंकर त्रिवेदी स्नातकोत्तर महाविद्यालय बालाघाट में एलएलबी में प्रवेश ले लिया है।
एलएलबी की छात्रा होने के कारण उसे नियमित रूप से क्लास अटेंड करने कालेज आना पड़ता है। लेकिन बालाघाट में रहने का कोई ठिकाना नहीं होने के कारण वह बहुत परेशान थी। वह एक दिन मदद की आस लेकर कलेक्टर श्री दीपक आर्य के पास पहुंची और उन्हें अपनी समस्या बताई। कलेक्टर श्री आर्य ने भी सुनीता को मदद करने का आश्वासन दिया और उसका नाम पता अपने रख लिया। इसके बाद उन्होंने सहायक संचालक पिछड़ा वर्ग तथा अल्पसंख्यक कल्याण श्रीमती अंजना जैतवार को सुनीता को छात्रावास में प्रवेश देने की व्यवस्था करने कहा।
सहायक संचालक श्रीमती अंजना जैतवार ने सुनीता को पोस्ट मेट्रिक पिछड़ा वर्ग कन्या छात्रावास बालाघाट में प्रवेश दिलाया है। उन्होंने विशेष प्रयास कर सुनीता के दिव्यांग होने के कारण उसे छात्रावास के प्रथम तल पर ही कक्ष उपलब्ध कराया है। सुनीता अब छात्रावास में रहने लगी है और जिला प्रशासन की मदद से बहुत खुश है। सुनीता कहती है कि उसे हर दिन कालेज आने एवं शाम को वापस अपने गांव बोदा जाने में भारी परेशानियों और आर्थिक समस्या का भी सामना करना पड़ता था। सुनीता एलएलबी की पढ़ाई पूरी करने के बाद सिविल जज बनना चाहती है और अपने इस सपने को पूरा करने के लिए वह अथक परिश्रम भी कर रही है।
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