आहार की शुद्धि के लिए समस्त जमीकंद का त्याग करना चाहिए - विररत्नजी मसा | Ahar ki shuddh ke liye samast jamikand ka tyag karna chahiye

आहार की शुद्धि के लिए समस्त जमीकंद का त्याग करना चाहिए - विररत्नजी मसा

आहार की शुद्धि के लिए समस्त जमीकंद का त्याग करना चाहिए - विररत्नजी मसा

पेटलावद (मनीष कुमट) - चित्त में, चिंतन में, आचरण में परिवर्तन लाना प्रभु दर्शन करे बिना, पूजा करे बिना अब आपका दिन गुजरना नही चाहिए। साधर्मी व गुरू भक्ति हमेशा आपके तन-मन में रहना चाहिए। आहार की शुद्धि के लिए समस्त जमीकंद का त्याग करना चाहिए। आपने जैन दर्शन के ११ कर्तव्यों में से एक तीर्थ यात्रा का कर्तव्य पूर्ण कर लिया हैं। अत: छ:रीत पालक संघ की यह उपलब्धि आपके जीवन में स्थाई रूप से रहना चाहिए। यह संघवी पद की शोभा भी बढाएगी।

उक्त बात अनुयोगाचार्य विररत्नजी मसा ने पेटलावद से भोपावर तक चार दिवसीय पैदल तीर्थ यात्रा के अंतिम पढाव व माल समारोह के अवसर पर मेहता परिवार व संघ यात्रीयों को आर्शीवचन कहते हुए कही। आपने आगे कहा तीर्थ यात्रा करते करते चरण की धूल से कर्म की धूल मिट जाती हैं। प्रभु प्रतीमा के आलंबन से कंकर से शंकर व नर से नारायण बनने की योग्यता तीर्थ भूमि के देरासर (मंदिर) से तीर्थ यात्रीयों में आ जाती हैं। शांतिनाथ के दरबार में भक्ति करने से, तीर्थ करने से तप में, वचन में, मन में, विचारों में, वर्तन में, शांति व शुद्धता प्राप्त होती हैं। मालवा की भूमि का का भोपावर तीर्थ अतिप्राचीन हैं अद्भूत, आलौकिक और अनुमोदनीय होकर अनुकरणीय भी हैं। आप और हम तीर्थ भूमि पर आकर पवित्र तीर्थ यात्री हो गए हैं। आपने आचार्य नवरत्नसागरजी का स्मरण करते हुए उन्हे भी श्रद्धासुमन अर्पित किए।

चार दिवसीय पैदल संघ के र्निविघ्न संपन्न होने पर गुरू के प्रति कृतज्ञता प्रकट की। माल समारोह में अनुयोगाचार्य भाव विभोर हो गए और अपने हाथो से संघ पति अमृतलाल मेहता व परिवार को संघवी पदवी देते हुए अपने हाथो से मेहता परिवार के पुत्र अनिल मेहता के गले में माल डाल दी। उस समय पूरा वातावरण भावविभोर हो गया व परिजनों के आंखो से खुशी के आंसू छलक पडे। पुत्र ने दंडवत होकर गुरू के प्रति अपने कृतज्ञता व्यक्त की। माल समारोह की पूरी विधि युवा संत उदयरत्न सागरजी ने संपन्न करवाई तो साथ में विधि कारण अरविंद चौरडिया ने संगीत व गीत के माध्यम से समारोह को अतिभक्ति पूर्ण बना दिया। नामली के सुशील जैन ने चारों दिन तक सुस्वादिष्ट भोजना कराकर आदर्श सेवा प्रदान की। मेहता परिवार की और से साधु साध्वियों को कामली ओढाकर अपने श्रद्धाभाव व्यक्त किए। पूर्व संध्या पर मोहनखेडा तीर्थ पर यात्रीयों का व अन्य सहयोगियों का संघ पति द्वारा बहुमान किया गया। २४ दिसंबर को मोहनखेडा में आचार्यश्री ने आचार्य ऋषभचंद्रूसूरीश्वर (ऋषभ बाबजी) से धर्म चर्चा संघ पति के साथ की। मेहता परिवार की और से जितेंद्र मेहता ने सभी तीर्थ यात्रीयों व गुरू भगवंतों से खमत खामणा किया।

झलकियां--मोहनखेडा तीर्थ पर दो महान विभूति आचार्य ऋषभचंद्रसुरीश्वरजी व अनुयोगाचार्य विररत्नश्रीजी का मिलाप हुआ। ऋषभबाबजी ने अपने दो संतो को भेजकर आचार्यश्री की अगवानी करवाई। मेहता परिवार को संघवी की उपाधि देते हुए आचार्यश्री ने अनिल मेहता को स्व अपने हाथो से माल पहनाई। यात्रा में ३०० से अधिक यात्रीयों ने भाग लिया। अंतिम दिन यह संख्या बढकर ६०० से अधिक हो गई। पुलिस व स्थानीय लोगों ने भरपूर सहयोग व सुरक्षा प्रदान की। यात्रा में १२ वर्ष से लेकर ८० वर्ष तक के पदयात्री शामील थे। यात्रा में शामील होने के लिए पोता जयेश व पुत्र वधू अंजली जापान से तो माडल व टीवी अभिनेता अभिषेक मेहता मुंबई से विशेष रूप से पधारे। सभी यात्रीयों ने व्यवस्था के लिए मेहता परिवार की मुक्त कंठ से प्रशंसा की। भोपावर में अद्भूत संयोग घटा जब तीर्थ यात्रा वहां प्रवेश कर रही थी उसी समय आचार्य विश्वरत्नसूरीश्वरजी अपने साधु परिवार के साथ प्रवेश कर रहे थे उन्होने सभी तीर्थ यात्रीयों को विशेष आर्शीवाद प्रदान किया। उस समय भोपावर में २७ से अधिक साधु साध्वियों का सहयोग संघ को प्राप्त हुआ। माल समारोह में सुरेंद्रकुमार, चंदादेवी, राजेंद्र कुमार, तेजा देवी, अजय कुमार, संगीता, जयेश, अंजली मेहता को गुरूदेव द्वारा अभिमंत्रित माल परिजनों ने पहनाई। पेटलावद पहुंचने पर संघ पति व तीर्थ यात्रीयों का ढोल के साथ स्वागत किया गया। पैदल यात्रा में अनुयोगाचार्य सहित आयंबिल तपस्वी जिनवल्लभविजयश्री, आत्मदर्शनविजयजी, साध्वी विजयप्रभाश्रीजी, कल्परशाश्रीजी, भव्यरशाश्रीजी, विश्वज्योतिश्रीजी का सानिध्य भी प्राप्त हुआ। रायपुरिया, झकनावदा, मोहनखेडा पेडी, भोपावर पेडी ने संघ का बहुमान किया। सभी संघ यात्रियों ने भी संघ पति परिवार का अभिनंदन किया।

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