आचार संहिता लगने के पहले क्या नगरवासियो को मिलेगा लिखित प्रमाण ?
बार बार ऎसे डरा डरा कर कब तक नगर के वोट बटोरेंगे, कब मिलेगा स्थाई समाधान
विपरीत परिस्थितियों में कोन बनेगा नगर का असली हीरो ?
कोन कर रहा है अपने लाभ के लिये मीडिया को बदनाम ?
मेघनगर (जिया उल हक क़ादरी) - जाको राखे साईंया तोड़ सके ना कोई' कहावत तो सबने सुनी होगी ऎसा ही कुछ फिलहाल मेघनगर में दिखाई दे रहा है यहाँ के विधायक महोदय एवं समाजसेवी पप्पू भय्या की दिलेरी के सभी कायल हो गये जिनके कारण बाजार का विनाश होने से लगभग बच गया परंतु इसका श्रेय लेने की जो होड़ शुरू हुई है वो परिषद की आचार संहिता लगने के बाद उजागर होगी जब चुनाव में अतिक्रमण के मुद्दों को लेकर एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगाया जायेगा जब दूध का दूध ओर पानी का पानी जिन बचे हुए नगरवासियो को मालूम हो जायेगा परंतु इन सबके पहले नगर के मेन बाजार में विनाशकारी अतिक्रमण ना आने के प्रमाण लिखित में अगर मिल जाते तो ज्यादा ठीक होता वरना बाद में जब अधिकारी किसी की नहीं सुनेगे तब ये छूट भई नेता बाजार में चिल्ला चिल्ला कर कहेंगे की हमने तो मुहिम रुकवा दी पर मीडिया की वजह से तुम्हारा नुकसान हो रहा है ओर भोले नगरवासीयो से अपना वोट कबाड़ने मे सफ़ल होंगे ये एक बने बनाये खेल की तरह कुछ दिनों के लिये नगर में पुनः प्रतिनिधि बनने की मिली भगत से मोहलत की दुहाई दे कर रोकी गई है इतने दिनों में ये अपनी पुनरावती नगर में पार्षद के रूप में किस प्रकार करना है मामला जमा लेंगे ओर ठीकरा मीडिया पर फोड़एँगे जिस मीडिया ने नगर के हितो को हमेशा सर्वोच्च रखा समय समय पर ऎसे माफ़िया उसे बदनाम करने में कोई कसर नहीं छोड़ते अमीर गरीब का मंत्र फूँककर अपनी गाड़ी कमाई भी कर लेते फ़िलहाल विधायक महोदय ओर समाजसेवी पप्पू भय्या ही नगरहित में लड़ कर बड़े विनाश को बचाने में लगे हुए हैं परंतु क्या ऎसे आदमखोर नेताओ के रहते नगर का भला होगा या ये अपने शेतानी दिमाग से फ़िर नगर में ओर विधायक जी को पेंच फसाएंगे ।
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