सिद्धाचल तीर्थ की यात्रा करने से जीव नौ भव के अंदर मोक्ष को करता है प्राप्त – अष्ट प्रभावक नरेन्द्र सूरीजी | Siddhachal tirth ki yatra krne se jiv no bhav ke andar moksh ko krta hai prapt
सिद्धाचल तीर्थ की यात्रा करने से जीव नौ भव के अंदर मोक्ष को करता है प्राप्त – अष्ट प्रभावक नरेन्द्र सूरीजी
ऊं पुण्याहां-पुण्याहां के मंत्रोच्चार के साथ बावन जिनालय के सभी षिखरों पर एकसाथ हुआ भव्य ध्वजारोहण
सिद्धाचल पट के सम्मुख देववंदन एवं भाववंदना की गई
श्वेतांबर जैन श्री संघ एवं चातुर्मास समिति ने आचार्य श्रीजी को ओढ़ाई कामली
झाबुआ (मनीष कुमट) - प्राचीन जैन तीर्थ श्री ऋषभदेव बावन जिनालय के सभी षिखरों पर विधिपूर्वक ध्वजारोहण कार्यक्रम 12 नवंबर, मंगलवार को सुबह कार्तिक सुदी पूर्णिमा को अष्ट प्रभावक आचार्य नरेन्द्र सूरीष्वरजी मसा ‘नवल’ एवं उनके षिष्य रत्न पंन्यास प्रवर जिनेन्द्र विजयजी मसा आदि ठाणा-2 की पावन निश्रा में संपन्न हुआ। सभी षिखरांे पर एकसाथ ध्वजारोहण ‘ःऊं पुण्याहां-पुण्याहां के मंत्रोच्चार के साथ किया गया। घ्वजारोहण बाद पोषध शाला भवन में सिद्धाचंल तीर्थ के सम्मुख भाव वंदना एवं देववंदन किया गया। इस अवसर पर श्वेतांबर जैन श्री संघ एवं श्री नवल स्वर्ण जयंती चातुर्मास समिति तथा समाज के वरिष्ठजनों द्वारा मिलकर नरेन्द्र सूरीजी एवं जिनेन्द्र विजयजी को कामली भी ओढ़ाई गई।
बावन जिनालय में कार्तिक सुदी पूर्णिमा 12 नवंबर, मंगलवार को सुबह 6.30 बजे श्री भक्तामर स्त्रोत एवं गुरू गुण इक्कीसा पाठ ुहआ। बाद श्री ऋषभदेव बावन जिनालय के षिखरों पर ध्वजारोहण निमित्त सत्तर भेदी पूजन संपन्न हुई। जिसके लाभार्थी डाॅ. गौरवकुमार, जितेन्द्रकुमार, छबीलचंद रूनवाल परिवार रहा। विधि विधिकारक ओएल जैन ने सपंन्न करवाई। इस दौरान संगीत की प्रस्तुति श्री आदिनाथ राजेन्द्र जयंत जैन संगीत मंडल ने दी। 8 बजे सभी ध्वजाओं की अष्ट प्रकारी पूजन एकसाथ संपन्न हुई। नवीं ध्वज पूजा अंतर्गत सभी लाभार्थियों से अष्ट प्रभावक एवं पंन्यास प्रवर द्वारा विषिष्ट मंत्रोच्चार के साथ पूजन संपन्न करवाई गई। तत्पष्चात् अष्ट प्रभावक ने सभी ध्वजाओं की विषिष्ट मंत्रों के साथ वाक्षेप पूजन की। सभी महानुभवों ने ध्वजाओं को सिर पर लेकर मंदिर की तीन पदक्षिणा की।
सभी षिखरों पर एकसाथ हुआ ध्वजारोहण
भगवान आदिनाथजी के मुख्य षिखर पर ध्वजारोहण लाभार्थी दिलीपकुमार, समयकुमार केसरीमल राठौर परिवार ने किया। जिसकी विधि आचार्य एवं पंन्यास प्रवर जिनेन्द विजयजी मसा ने षिखर पर चढ़कर संपन्न करवाई। पश्चात् मुख्य षिविर के साथ सभी षिखरों पर लाभार्थी परिवारों द्वारा एक साथ भव्य रूप से ध्वजारोहण किया गया। गुरू मंदिर की ध्वजा का लाभ श्रीमती लीलाबाई शांतिलाल भंडारी परिवार ने लिया। सांभरण के कलष की अष्ट प्रकारी पूजन के लाभार्थी सुजानमल, चंद्रसेन, प्रकाष, अभय, प्रदीप जैन परिवार रहा।
तीन लोक में सिद्धाचल तीर्थ जैसा दूसरा तीर्थ नहीं
पश्चात् 10 बजे से पोषध शाला भवन में श्री सिद्धाचल पट के सम्मुख देव वंदन प्रारंभ हुआ। देवंवदन से पूर्व अष्ट प्रभावक नरेन्द्र सूरीजी ने सिद्धाचल की महत्वता बताते हुए कहा कि आज ही के दिन भगवान आदिनाथ के पोत्र द्राविंद वारी खील्लजी आदि 10 करोड़ मुनियों के साथ सिद्धाचंल तीर्थ से मोक्ष पधारे थे। अनंत आत्माएं इस तीर्थ से मोक्ष में गई है। तीन लोक में इस तीर्थ जैसा कोई दूसरा तीर्थ नहीं है। इस तीर्थ की यात्रा करने से जीव नौै भव के अंदर मोक्ष प्राप्त कर लेता है। इस तीर्थ के स्मरण मात्र से ही दुख-दारिद्रता समाप्त हो जाती है। पश्चात् आचार्य श्री ने देववंदन की क्रिया करवाई। इस दौरान पूज्य जिनेन्द्र विजयजी ने सुंदर स्तवन प्रस्तुत किए। सिद्धाचलजी के सम्मुख सामूहिक 21 खमासमणे दिए गए।
अष्ट प्रभावक को ओढ़ाई कामली
वेतांबर जेन श्री संघ एवं चातुर्मास समिति के पदाधिकारियों तथा समाज के वरिष्ठजनों द्वारा मिलकर आचार्य एवं पंन्यास प्रवर को कामली ओढ़ाई गई। इस दौरान पुण्डरिक स्वामी गणधर मंदिर के वार्षिक चढ़ाए बोले गए। देववंदन पश्चात् सिद्धाचल पट्ट की एवं दादा गुरूदेव राजेन्द्र की आरती श्रीमती लीलाबेन भंडारी परिवार द्वारा उतारी गई। मंगलदीप सुभाषचन्द्र कोठारी ने किया। भाता का वितरण दिलीपकुमार केसरीमल समयकुमार राठौर परिवार द्वारा किया गया। समापन पर श्री नवल स्वर्ण जयंती चातुर्मास समिति द्वारा साधर्मी वात्सल्य का आयोजन किया गया। दोपहर 1 बजे श्रीमती जतनबेन नवलखा एवं यतिन्द्र नवलखा परिवार की ओर से श्री सिद्धाचलजी की नवांणु प्रकार पूजन का आयोजन रखा गया। यह पूजन महिला परिषद् द्वारा पढ़ाई गई। इसके साथ ही पूर्णिमा के अवसर पर दादावाड़ी में दादा जिनदत्त सूरी एवं जिन कुषल सूरी की पूजन हस्तीमल संघवी परिवार ने पढ़ाई।
नवल एवं जलज का श्री गौड़ी पाष्र्वनाथ तीर्थ पर हुआ विहार
दोपहर 3.30 बजे नवल एवं जलज आदि ठाणा-2 का बावन जिनालय से चातुर्मास परार्वतन विहार आंरभ हुआ। इस दौरान जगह-जगह पूज्य आचार्य भगवंत के सम्मुख समाजजनों द्वारा अक्षत, श्रीफल से गहूली की गई। समाजजनों ने आचार्य श्रीजी के पगलिया कर संघ पूजा की। शाम करीब 4.30 बजे मसाद्वय श्री गौड़ी पाष्र्वनाथ तीर्थ पहुंचे। जहां मसाद्वय की तीर्थेन्द्र सूरी समिति द्वारा गहूली की गई। पश्चात् सभी ने श्री गोड़ी पाष्र्वनाथ तीर्थ के दर्षन-वंदन बाद अष्ट प्रभावक ने यहां समाजजनों को मांगलिक भी श्रवण करवाई। श्री नवल स्वर्ण जयंती चातुर्मास ने विहार में पधारे समाज के सभी लोगों की साधर्मी भक्ति का लाभ लिया।
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