नानी बाई रो मायरा कथा में पहुंचे विधायक मेडा बोले जय हो हरि की
धामनोद (मुकेश सोडानी) - आयोजित तीन दिवसीय 'नानी बाई रो मायरो कथा के अंतिम दिन मंगलवार को नरसीजी के नानीबाई के ससुराल में आगमन व पिता-पुत्री के संवाद का प्रसंग सुन श्रोता भक्त भक्तिभाव में डूब गए।
आरती के साथ शुरू हुई कथा में कथावाचक श्याम दास जी महाराज ने नानी बाई के ससुराल में नरसीजी के आगमन और दोनों पिता-पुत्री के बीच संवाद का भावपूर्ण वर्णन किया।
प्रसंग सुन प्रेम भाव में डूबे उपस्थित भक्तों की आंखें नम हो गईं और छलक पड़ी। वहीं सांवरिया के आगमन से सभी के चेहरों पर मुस्कान छा गई। भक्त की लाज बचाने स्वयं ठाकुरजी 56 करोड़ का मायरा भरने आए। इस दौरान 'जब जब ये दिल हारा, घनश्याम ने हमेशा दिया सहारा.की संगीतमय प्रस्तुति पर भक्त झूम उठे। राधा, रुक्मणी और कृष्ण के पात्रों के संग सदस्यों ने सुंदर मायरा सजाया। आयोजित कथा में क्षेत्रीय विधायक पाची लाल मेड़ा भी पहुंचे तथा कथा का रसपान किया सभी ने आयोजित इस सुंदर नानी बाई रो मायरा कथा का रसपान कर प्रशंसा की
दुनिया में ऐसा मायरा न कोई भरा न भर पाएगा
कथा प्रसंग में कथा वाचक श्यामदास महाराज ने बताया कि भगवान कृष्ण ने नानीबाई का ऐसा मायरा भरा कि दुनिया में आज तक न किसी ने वैसा मायरा भरा है और न ही भर पाएगा। भगवान ने कपड़े, गहने, सोने के सिक्के, हीरे, जवाहरात और पूरे गांव को उपहार प्रदान कर नानी बाई का मायरा भरा और उसके पिता नरसिंग की इज्जत रखी।
मां को अनाथ आश्रम में न छोड़ें
कथा प्रसंग में बताया कि महिमा 'तू कितनी अच्छी है...प्यारी-प्यारी है, मां ओ मां..'गीत के माध्यम से बताया तो भक्तगण रो पड़े। कि जो मां बचपन से पालपोसकर हमें बड़ा करती है और जिसके कारण हम कुछ बन पाए हैं, उस मां की सेवा बुढ़ापे में अवश्य करें, उसे अनाथाश्रम में न छोड़ें। मां की दुआओं में इतना असर होता है कि बेटा यदि विदेश में बीमार पड़ जाए तो मां हजारों किलोमीटर दूर रहकर व्रत, उपवास करके और दुआ मांगकर बेटे को ठीक करने की ताकत रखती है।
Tags
dhar-nimad

