दिवंगत समाज सेवी व हर दिल अजीज ठाकुर जोरावरसिंह जी की प्रथम पुण्य तिथि पर आयोजित कार्यक्रम
पिटोल (अली असगर बोहरा) - रक्तदान शिविर में पिटोल कस्बे के 62 युवाओं व मातृ शक्तियों ने जरुरत मंदों के लिये अपने रक्त का दान किया। युवाओं व मातृ शक्तियों ने इस भावना के साथ कि हमारे रक्त की एक बुंद भी किसी के काम आ जाय शिविर में बढ चढकर भाग लिया। कई युवा अपने जीवन में पहली बार रक्तदान करते नजर आऐ तो कई दुसरी तीसरी व दसवीं बार भी रक्तदान कर रहे थे। ऐसे युवा जो पहली मर्तबा रक्तदान कर रहे थे उनका उपस्थित चिकित्सको और ग्रामीणों ने शिवीर में तालिय बजकार स्वागत किया जिला चिकित्सालय झाबुआ से पहुंचे आरएमओ डा. सावनसिंग चैहान , ब्लड बैंक मेडिकल ओफिसर डा. राजेश डावर, डा. अंतिम बडौले, नटवरसिंह राठौर, रमेशचंद्र सोलंकी,व सौरभ बामनिया की भुमिका खास रही जिन्होने युवाओं को रक्तदान के लिये प्रेरित ही नहीं किया अपितु सफलता से शिविर को अंजाम भी दीया।
आयोजक पिटोल वासियों ने सभी के प्रति अपनी कृतज्ञता ज्ञापित करते हुवे सभी का आभार माना।इस अवसर पर शाम को श्रद्धांजली सभा भी आयोजित की गई जिसमें पिपलखुंटा हनुमंत आश्रम के महंत श्री दयारामदास जी महाराज भी सम्मिलित हुवे। महंत दयारामदास जी महाराज ने कहा कि जोरावरसिंह जी समाज के उन लोगों के लिये एक आदर्श थे जो जन हिताय व जन सुखाय की भावना के साथ सामाजिक, धार्मिक व राजनेतिक क्षैत्र में काम करते है।निडरता, जिंदादिली व आम लोगों के सुख दुख में बिना किसी स्वार्थ के दौड पडना उनकी अपनी पहचान थी। पिटोल में ही नहीं जहां भी जिस क्षैत्र में उन्होंने अपनी सेवाऐं दी वहां उन्होने अपनी छाप छोडी है जिसे सदियों तक लोग याद रखेगें।कार्यक्रम में पिटोल सरपंच काना गुंडिया, डा. अंतिम बडौले, मन्नान अली बोहरा, भुपेन्द्र नायक, डा. राहुल नागर, बालकृष्ण नागर, विनय पंचाल नें भी अपने विचार रखे जिसमें छात्र जीवन से अब तक ठाकुर साहब के किये कार्या व उनकी नेतृत्व क्षमता के साथ ही क्षैत्र के हर तबके व हर समाज के लोगों को एक जुट रखने के साथ ही माला के मोतियों की तरह बांधे रखने की कला पर प्रकाश डाला एवं श्रद्धांजली दी।
कार्यक्रम का सञ्चालन कर रहे सुधीर चौहान द्वारा ठाकुर साहब की जीवनशैली पर लिखी कविता की अंतिम पंक्ति''बरसो में कोई एक सितारा उन जैसा जब धरती पर आता है।जीते जी जो हरदिल अज़ीज़ आदर्श बन जाता है और मरत्युउपरांत ध्रुवतारा बन जाता है। ने जनसमूह को नम आँखों से तालिया बजाने को मजबूर किया । इस अवसर पर पिटोल कस्बे से हर समाज वर्ग के लोगों ने कार्यक्रम स्थल पहुंचकर उन्हें श्रद्धांजली अर्पित की।
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