खंडवा में 65 लाख का महाघोटाला: एक ही सचिव ने दो पंचायतों में नियमों को रौंदकर उड़ाए लाखों, सरपंचों को भी नोटिस notice Aajtak24 News

 
खंडवा में 65 लाख का महाघोटाला: एक ही सचिव ने दो पंचायतों में नियमों को रौंदकर उड़ाए लाखों, सरपंचों को भी नोटिस notice Aajtak24 News 

खंडवा/मध्य प्रदेश - खंडवा जिले के खालवा जनपद में एक चौंकाने वाला भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है, जहाँ दो ग्राम पंचायतों में 65 लाख रुपये से अधिक का गबन सामने आया है। हैरान करने वाली बात यह है कि इन दोनों पंचायतों - साल्याखेड़ा और खेड़ी - में सचिव का दायित्व एक ही व्यक्ति, रमेश यादव, के पास था। आरोप है कि सरपंचों के साथ मिलकर, रमेश यादव ने शासन की बिना किसी पूर्व स्वीकृति के, मनमाने ढंग से 15वें और 5वें वित्त आयोग की लाखों की राशि विभिन्न कार्यों पर खर्च कर दी। इस गंभीर अनियमितता के बाद, जिला पंचायत सीईओ ने संबंधित सरपंचों और सचिव को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है।

गबन का पूरा मामला: कहाँ और कैसे उड़ाए गए लाखों?

जांच रिपोर्ट के अनुसार, खालवा जनपद की ग्राम पंचायत साल्याखेड़ा की सरपंच अंजू काजले और सचिव रमेश यादव ने करीब 18.34 लाख रुपये का नियम विरुद्ध व्यय किया है। वहीं, ग्राम पंचायत खेड़ी की सरपंच सुनीताबाई कलम और सचिव रमेश यादव ने लगभग 46.88 लाख रुपये का मनमाना खर्च किया। कुल मिलाकर, यह राशि 65 लाख रुपये से अधिक हो जाती है।

मनमाने तरीके से खर्च की गई राशि

जांच में सामने आया है कि इन पंचायतों में सड़क-नाली निर्माण, बाउंड्रीवॉल, फर्नीचर और स्टेशनरी की खरीद जैसे कामों पर नियमों का उल्लंघन कर पैसा खर्च किया गया। सबसे गंभीर बात यह है कि इन सभी कार्यों के लिए कोई सक्षम स्वीकृति और मूल्यांकन नहीं कराया गया था। यह दर्शाता है कि राशि का उपयोग पूरी तरह से मनमाने और अनियमित तरीके से किया गया।

वित्तीय अनियमितता और दस्तावेज़ों का अभाव

सहायक यंत्री मनरेगा और खंड पंचायत अधिकारी द्वारा की गई संयुक्त जांच में पाया गया कि दोनों पंचायतों ने न केवल नियमों के खिलाफ पैसा खर्च किया, बल्कि उन्होंने निर्माण कार्यों से संबंधित आवश्यक दस्तावेज और व्यय के अभिलेख भी जांच अधिकारियों को उपलब्ध नहीं कराए। यह दस्तावेज़ों का अभाव और वित्तीय अनियमितता इस बात की ओर इशारा करती है कि बड़े पैमाने पर पारदर्शिता की कमी और भ्रष्टाचार हुआ है।

सीईओ जिला पंचायत का कड़ा रुख

खालवा जनपद की सीईओ टीना पंवार ने इस मामले पर सख्त रुख अख्तियार किया है। उन्होंने बताया कि मध्य प्रदेश सरकार के राज्य और ग्राम स्वराज अधिनियम 1993 की धारा 89 के तहत कार्रवाई करते हुए, जिला पंचायत के सीईओ को वसूली के लिए विस्तृत रिपोर्ट भेजी गई थी। इसी रिपोर्ट के आधार पर, सीईओ कोर्ट ने मामला दर्ज कर संबंधित सरपंचों और सचिव रमेश यादव से जवाब मांगा है।

यह मामला ग्रामीण विकास योजनाओं में पारदर्शिता और जवाबदेही की आवश्यकता को रेखांकित करता है, विशेषकर जब एक ही व्यक्ति दो पंचायतों में वित्तीय प्रबंधन की जिम्मेदारी संभाल रहा हो। जिला प्रशासन की इस कार्रवाई से भ्रष्टाचार पर लगाम कसने की उम्मीद जगी है।

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