सिद्ध चक्र की आराधना से कर्म चक्र का होता है अंत - प्रन्यास प्रवर जिनेन्द्र विजयजी | Sidh chakr ki aradhna se karm chakr ka hota hai

सिद्ध चक्र की आराधना से कर्म चक्र का होता है अंत - प्रन्यास प्रवर जिनेन्द्र विजयजी

सिद्ध चक्र की आराधना से कर्म चक्र का होता है अंत - प्रन्यास प्रवर जिनेन्द्र विजयजी

झाबुआ (मनीष कुमट) - सिद्ध चक्र की आराधना से कर्म चक्र का अंत हो सकता है। यह आराधना अत्यंत प्राचीन एवं जैन धर्म में शाश्वत सदा काल से चलती आ रहीं है। यह प्रमुख तपस्या है। उक्त प्रेरणादायी उद्गार स्थानीय श्री ऋषभदेव बावन जिनालय स्थित स्थित पोषध शाला में धर्मसभा में प्रवचन देते हुए अष्ट प्रभावक आचार्य नरेन्द्र सूरीश्वरजी मसा के शिष्य रत्न प्रन्यास प्रवर जिनेन्द रविजयजी मसा ने कहीं। 5 अक्टूबर, शनिवार से बावन जिनालय के भव्य प्रांगण में शाश्वत सिद्ध चक्र नवपदों की भव्य आरााधना आरंभ हो गई हे। आयोजक श्वेतांबर जैन श्री संघ एवं श्री नवल स्वर्ण जयंती चातुर्मास समिति है। प्रन्यास प्रवर ने अपने प्रवचनों में आगे कहा कि आयंबिल अर्थात घी, तेल, शक्कर, गुड़, मिर्च-मसाला, नमकीन एवं मिठाई का त्याग करके पूरे दिन में मात्र एक समय दोपहर 12 बजे नीरस स्वादरहित लुछा आहार करना। 

अरिहंत पद का अर्थ बताया

जिनेन्द्र विजयजी ने बताया कि आयंबिल, तपों में महातप है। इस तप से तन स्वस्थ, मन प्रसन्न और आत्मा शुद्ध और पवित्र बनती है। प्रन्यास प्रवर ने बताया कि आराधकों द्वारा प्रथम दिन अरिहंत पद की आराधना की जाएगी। अ से आत्मा की अमरता जाने, रि से आत्मिक रिपु याने शत्रु को पहचानना, ह से हंस पक्षी की तरह क्षीर-नीर विवेक का ज्ञान प्राप्त करना एवं त से तन से तप करके तत्काल कर्म चक्र से बचना। जिनेन्द रविजयजी ने प्रथम दिन श्रीपाल राजा एवं मयणा सुंदरी के चरित्र पर भी विस्तार से समझाया। 

नवपदों की सामूहिक आरती की

श्वेतांबर जैन श्री संघ अध्यक्ष संजय मेहता एवं चातुर्मास समिति अध्यक्ष कमलेश कोठारी ने बताया कि बावन जिनालय में सुबह 6 बजे सिद्ध चक्र के यंत्र पर पंचामृत से अभिषेक किया गया। बाद केसर पूजन हुई। सिद्ध च्रक्रजी की स्नात्र. पूजन लीलाबेन भंडारी, मांगूबेन सकलेचा एवं कमलनाबेन मुथा परिवार द्वारा पढ़ाई गई। आराधको द्वारां प्रथम दिन 12 स्वस्तिक, 12 खमासमणे, 12 लोग्सय का काउसक कर अरिहंत पद के जाप किए गए। 20 माला अर्थात 2160 बार जाप किया गया। तत्पश्चात् सिद्ध चक्र की नव पदों की सामूहिक आरती आराधकों ने की। 

आयंबिल का लाभ लिया

दोपहर 12 से 1 बजे तक गुरू हाॅल में सभी आराधकों ने आयंबिल किया। दोपहर 2 बजे गुरूदेव श्री राजेन्द्र सूरीश्वरजी मसा की अष्टप्रकारी पूजन आराधकों ने की। जिसका लाभ बाबुलाल संघवी परिवार ने लिया। शाम को सामूहिक प्रतिक्रमण का आयोजन हुआ।

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