शव को नदी में उतरकर ले जाना पड़ा मुक्तिधाम | Shav ko nadi main utarkar le jana pada mukti dhaam

शव को नदी में उतरकर ले जाना पड़ा मुक्तिधाम, प्रशासन का चिडाती मुह

शव को नदी में उतरकर ले जाना पड़ा मुक्तिधाम

पेटलावद (मनीष कुमट) - सरकारें बड़ी-बड़ी बाते करती है, विकास के कई इबारते लिखती है, किन्तु मनुष्य जीवन के अंतिम सत्य मृत्यु के पश्चात शव को मुक्तिधाम तक ले जाने के लिए हर ग्राम में कोई उचित रास्तो की व्यवस्था नहीं है, और ना हीं अंतिम संस्कार के लिए कोई व्यवस्था है। कई सरकारों ने मुक्तिधाम निर्माण के लिए करोड़ो रूपयें खर्च कियें है,किन्तु धरातल पर वास्तविक स्थिती कुछ और हीं है। यदि वास्तवीक स्थिती देखना है तो पेटलावद विकासखण्ड की पंचायतांे में देखी जा सकती है। पिछले दिनों पेटलावद तहसील के ग्राम छोटी गेहण्डी में ग्रामीणों को नदी पार करके अंतिम संस्कार के लिए शव ले जाने की घटना सामने आई थी। 15 दिन में दुसरी घटना ने प्रशासनिक अव्यवयथाओ की पोल खोलकर रख दी थी। गुरूवार को फिर पेटलावद तहसील के ग्राम छायन पश्चिम में एक वृद्ध महिला के आकस्मिक निधन हो जाने पर शव दाह संस्कार के ग्रामीणों को बड़ी मशक्कत कर मुक्तिधाम तक पहुचना पड़ा। ग्रामीण शव को कंधे पर उठाकर नदी से निकल कर मुक्तिधाम तक पहुचे ओर महिला का अंतिम संस्कार किया गया। ग्रामीण प्रकाश वसुनिया, कैलाश वसुनिया, शंकर वसुनिया, रमेश वसुनिया, बालू वसुनिया, रामा वसुनिया, जोरसिंग वसुनिया, बाबु वसुनिया शम्भू वसुनिया, सैतान वसुनिया आदि ने बताया कि अगर गाँव मे कोई देहांत हो जाता है तो ग्रामीणों को इसी तरह मशक्कत करना पड़ती है, पानी से होकर गुजरना पड़ता है, जैसे तैसे मुक्तिधाम पर हम पहुचते, साथ जिस मुक्तिधाम पर हम अंतिम संस्कार करते वह भी पूर्ण रूप से अधूरा पड़ा है। जिससे भी बेहद परेशानियो के बीच अंतिम संस्कार किया जाता है। जिम्मेदारों का इस ओर कोई ध्यान नही है।

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