महिला शक्ति द्वारा निकाला गया पथसंचालन
उज्जैन (दीपक शर्मा) - शक्ति की आराधना एवं सीमा उल्लंघन का पर्व है । विचारों में सशक्तता हो एवं व्यवहार में नम्रता ही शक्ति सम्पन्नता का परिचायक है । नारी विचारो एवं कर्म से पूर्ण रूपेण शक्ति का प्रतीक है। यह बात कार्यक्रम की मुख्य वक्ता एवं राष्ट्र सेविका समिति की प्रान्त सेवा प्रमुख श्रीमती श्रुति केलकर ने पथसंचलन के अवसर पर कही।
इस संबंध में जानकारी देते हुवे राष्ट्र सेविका समिति की जिला कार्यवाहिका श्रीमती पिंकी आर्य ने बताया कि प्रतिवर्षानुसार इस वर्ष भी राष्ट्र सेविका समिति द्वारा शस्त्र पूजन व विजयादशमी उत्सव मनाया गया। कार्यक्रम के प्रारंभ में अतिथियो ने शस्त्र पूजन किया। उसके बाद ध्वजारोहण, व्यक्तिगत गीत के पश्यात मुख्य वक्ता के रूप में राष्ट्र सेविका समिति की प्रान्त सेवा प्रमुख श्रीमती श्रुति केलकर ने अपने उद्बोधन में कहा कि, संस्कृति की अस्मिता को बनाये रखने के लिए सही गलत का फर्क जानना होगा और इसके लिए हमे संस्कृति की जड़ों से जुड़कर रहना जरूरी है। वसुधैव कुटुम्बकम् की भावना को सदैव मन मे रखकर संस्कृति को पोषित करना है। पथ संचलन सभी को समरस एवं संगठित करने का माध्यम है। समाज को संगठित करने का यही कार्य अनुशासित संगठन के बल पर सम्पूर्ण देश मे राष्ट्र सेविका समिति द्वारा किया जा रहा है। आपने आव्हान किया कि , हम आने वाली दीपावली पर चाइना व अन्य विदेशी वस्तुओं का उपयोग न करके स्वदेशी वस्तुओं का उपयोग करे। उपस्थित सेविकाओं को संबोधित करते हुए आपने कहा कि, वंदनीय मौसी जी लक्ष्मी ताई केलकर का संपूर्ण जीवन सघर्ष एवं समर्पण का उत्कृष्ट उदाहरण है। जिन्होंने विपरित परिस्थितियों के बाद भी महिला संगठन की स्थापना की । यह तत्कालीन परिस्थितियों में अपनेआप में पराक्रम था। आपने सभी बहनों को वंदनीय मौसी जी के विचारों को आत्मसात करने का संदेश दिया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ ललिता पेंढारकर ने की।
Tags
dhar-nimad