गुरूदेव राजेन्द्र सूरीष्वरजी की आध्यात्मिक साधना में समदृष्टि निराली थी - प्रन्यास प्रवर जिनेन्द्र विजयजी
झाबुआ (अली असगर बोहरा) - जैन तीर्थ श्री ऋषभदेव बावन जिनालय में चल रहीं शाष्वती श्री सिद्ध नवपद ओेलीजी आराधना के 9वें दिन अष्ट प्रभावक आाचार्य नरेन्द्र सूरीष्वरजी मसा ‘नवल’ के सुषिष्य प्रन्यास प्रवर मालव भूषण श्री जिनेन्द्र विजयजी मसा ‘जलज’ ने नवपदजी के नवे पद तप की व्याख्या की। नौ दिनों में नवपदजी की 70 से अधिक आराधकों ने आराधना करते हुए कुल 13 लाख से अधिक जाप किए। रविवार को आसोज सुदी पूर्णिमा पर बावन जिलालय गुरू हॉल में गुरूदेव श्री राजेन्द्र सूरीष्वरजी मसा की गुरूपद महापूजन का आयोजन हुआ। पूजन श्वेतांबर श्री संघ की वरिष्ठ सुश्राविका मांगूबेन सकलेचा परिवार की ओर से रखी गई। 14 अक्टूबर को सभी आराधकों के पारणे का आयोजन होगा। अंतिम दिन शाष्वती श्री सिद्ध नवपद ओली आराधना के संपूर्ण आयोजन के लाभार्थी बाबेल परिवार का बहुमान किया जाएगा।
बावन जिनालय गुरू हॉल में गुरू पद महापूजन का आयोजन सुबह 9 बजे से हुआ। पूजन आचार्य नरेन्द्र सूरजी की निश्रा में एवं प्रन्यास प्रवर जिनेन्द्र विजयी के संयोजन में हुइ्र्र। पाट पर दादा गुरूदेवजी का चित्र विराजमान कर पूजन मांगूबेन सकलेचा परिवार ने की। संगीत की प्रस्तुति श्री आदिनाथ राजेन्द्र जयंत संगीत मंडल एवं विधि ओएल जैन द्वारा संपन्न करवाई गई। समधुर स्तवनों की प्रस्तुति निखिल भंडारी, दीपक मुथा एवं विजय कटारिपा ने दी।
Tags
jhabua

