बिजली बिल हजारों में ग्रामीण परेशान बिजली की लुकाछिपी फिर शुरू
थांदला (कादर शेख) - कांग्रेस का शासनकाल सड़क बिजली पानी आदि अव्यवस्थाओं के चलते हमेशा से ही बदनाम रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजयसिंह के साथ ही प्रदेश से 15 वर्षों से कांग्रेस के बेदखल होने का कारण भी कुछ हद तक यही अव्यवस्था रही है। इस बार फिर सत्ता परिवर्तन होकर कांग्रेस की प्रदेश सरकार में पुरानी समस्याओं को मानो संजीवनी मिल गई है। पिछले कुछ दिनों से प्रदेश में बिजली व्यवस्था को लेकर सरकार कटघरे में नजर आ रही है। भाजपा की प्रदेश सरकार के विरोध में निकाली गई चिमनी यात्रा के बाद भी प्रदेश सरकार बिजली व्यवस्था को ठीक नही कर पाई है। थांदला नगर में कनिष्ठ यंत्री का दो बार तबादला हो चुका है नये कनिष्ठ यंत्री को अभी नगर व ग्रामीण बिजली सप्लाई व्यवस्था समझना है जबकि मानसून बिजली मेंटेनेंस के बाद भी अधिकांश समय नगर में बिजली गुल ही रहती है। अचरज की बात यह है कि बिजली गुल रहने के बाद भी उपभोक्ताओं के बिल कम होने की बजाय बढ़ रहे है। राजपुरा रहने वाली एक बेवा उपभोक्ता का बिल चौकाने वाला है बताया जाता है कि उस महिला ने पूर्व में 4 हजार से ज्यादा का बिल जैसे तैसे पैसों की जुगाड़ करके भरा ही था कि फिर दो माह भी नही हुए और 4610 रुपये का बिल आ गया। उस महिला ने इस प्रतिनिधि को रोते हुए अपने बिल दिखाए तो मामला बहुत गम्भीर लगा। बिजली विभाग सुरक्षा निधि के रूप में मनमाना शुल्क जमा कर रही है वही बिल में इमेज नही दर्शा कर हजारों की राशि के बिल उपभोक्ताओं को दिए जा रहे है। जिनमे से कुछ लोगों के बिल सम्बन्धी वाद-विवाद करने पर उनके बिल कम भी कर दिए जाते है। घरेलू उपभोक्ताओं के हजारों में बिल आना वास्तव में एक गम्भीर समस्या ना होकर बड़े घोटाले की ओर इशारा है। समय रहते शासन प्रशासन बिजली सम्बन्धी अव्यवस्थाओं को दूर नही करती है तो बरसों पूर्व हुए आंदोलन प्रदेश भर के हो तो कोई आश्चर्य नही होना चाहिये।
यह बोले जिम्मेदार
कभी कभी लाइन में फाल्ट आ जाने स लाइट बन्द रहती है अन्यथा ऐसी कोई समस्या नही है। बिजली के बिल किसी तकनिकी भूल के कारण ज्यादा आ गए होंगे वरना सभी बिल रीडिंग अनुसार ही दिए जा रहे है किसी की समस्या है तो लिखित में दे हम उचित समाधान करेंगे। सम्बंधित महिला का बिल दिखवा लेते है व जो भी नियम होगा उसके अनुसार उन्हें सहायता दी जाएगी। रही बात सुरक्षानिधि की तो वह वर्षभर के बिल के तीन माह के बिल के आधार पर जमा होती है जो उपभोक्ता की स्वयं की निधि है व उस पर विभाग द्वारा ब्याज भी दिया जा रहा है।
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