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गुना में हैरान करने वाला मामला: महिला सरपंच ने 20 लाख के कर्ज के बदले पंचायत को 'लीज' पर दिया diya Aajtak24 News |
गुना - मध्य प्रदेश के गुना जिले में एक ऐसा अजीबोगरीब मामला सामने आया है, जिसने सबको हैरान कर दिया है। यहां करोद ग्राम पंचायत की महिला सरपंच लक्ष्मी बाई ने कथित तौर पर 20 लाख रुपये का कर्ज चुकाने के लिए अपनी ही पंचायत को एक नोटरीकृत समझौते के जरिए किसी तीसरे व्यक्ति को 'लीज' पर दे दिया। मामला संज्ञान में आते ही प्रशासन ने त्वरित कार्रवाई करते हुए सरपंच लक्ष्मी बाई को उनके पद से बर्खास्त कर दिया है।
क्या था पूरा मामला?
हर ग्राम पंचायत को अपने क्षेत्र में विकास कार्य कराने के लिए सरकार से बजट मिलता है और इन पैसों का नियंत्रण सीधे सरपंच के पास होता है। अधिकारियों के मुताबिक, गुना के बाहरी इलाके में, भोपाल से लगभग 220 किलोमीटर दूर स्थित करोद पंचायत के लिए यह असामान्य नोटरीकृत समझौता साल 2022 में किया गया था। जांच में सामने आया कि रणवीर सिंह कुशवाह नामक एक स्थानीय निवासी ने कथित तौर पर सरपंच लक्ष्मी बाई का 20 लाख रुपये का कर्ज चुकाने का आश्वासन दिया था। इसके बदले में, पंचायत को एक नोटरीकृत हलफनामे के जरिए रणवीर सिंह कुशवाह को 'सौंप' दिया गया। रणवीर सिंह ने फिर इसे किसी तीसरे व्यक्ति को 'हस्तांतरित' कर दिया।
प्रशासन की कार्रवाई और पुलिस में FIR:
इस गंभीर अनियमितता का खुलासा गुना के सब-डिविजनल मजिस्ट्रेट (SDM) की जांच के बाद हुआ। इसके बाद, जिला पंचायत अधिकारियों ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने रणवीर सिंह कुशवाह के खिलाफ FIR (प्रथम सूचना रिपोर्ट) दर्ज कर ली है। गुना जिला पंचायत के सीईओ अभिषेक दुबे ने मंगलवार को इस बात की पुष्टि की कि शिकायत मिलने के बाद विस्तृत जांच की गई, जिसके आधार पर सरपंच और इस सौदे में शामिल व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई की गई है।
कर्ज और चुनाव की अटकलें:
चूंकि पंचायत चुनाव 2022 में हुए थे, ऐसी अटकलें लगाई जा रही हैं कि लक्ष्मी बाई ने चुनाव लड़ने के लिए यह कर्ज लिया होगा। हालांकि, पुलिस FIR में इस बात का कोई जिक्र नहीं है। जब इस संबंध में सरपंच के पति शंकर सिंह से संपर्क किया गया, तो उन्होंने आरोपों से इनकार करते हुए कहा, "हमने किसी से कोई पैसा नहीं लिया है। लक्ष्मी बाई को पद से हटा दिया गया है। टाइम्स ऑफ इंडिया के पास मौजूद FIR की एक कॉपी के अनुसार, रणवीर सिंह ने सरपंच के साथ 100 रुपये के स्टांप पेपर पर एक हलफनामे के जरिए यह सौदा किया था, जिसे नोटरीकृत भी कराया गया था। FIR में कहा गया है, "फोटोकॉपी की जांच से यह स्पष्ट होता है कि ग्राम पंचायत के कार्यों को संचालित करने के लिए सरपंच लक्ष्मी बाई और रणवीर के बीच एक समझौता हुआ था।" हालांकि, FIR में 'टीएस लागत' (TS cost) का स्पष्टीकरण नहीं दिया गया है। यह मामला मध्य प्रदेश की पंचायती राज व्यवस्था में पारदर्शिता और वित्तीय नियंत्रण पर गंभीर सवाल खड़े करता है। प्रशासन द्वारा की गई यह कार्रवाई एक महत्वपूर्ण कदम है, लेकिन इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए और अधिक प्रभावी उपायों की आवश्यकता है।