आस्था ही आराधना का आधार है - प्रन्यास प्रवर जिनेन्द्र विजयजी | Astha hi aradhna ka adhar hai

आस्था ही आराधना का आधार है - प्रन्यास प्रवर जिनेन्द्र विजयजी

13 अक्टूबर को बावन जिनालय में श्री राजेन्द्र सूरी गुरूपद महापूजन का होगा आयोजन

झाबुआ (मनीष कुमट) - स्थानीय श्री ऋषभदेव बावन जिनालय में 10 अक्टूबर को प्रवचन देते हुए अष्ट प्रभावक आचार्य देवेश श्रीमद् विजय नरेन्द्र सूरीश्वरजी मसा ‘नवल’ के सुशिष्य रत्न प्रन्यास प्रवर, मालव भूषण, प्रवचनकार श्री जिनेन्द्र विजयजी मसा ‘जलज’ ने शाश्वती श्री सिद्ध चक्र नवपद ओलीजी की आराधना करते हुए बताया कि ओलीजी का छटवां पद सम्यग दर्शन है।

सम्यग दर्शन का मतलब शुद्ध देव अरिहंत, जो अट्ठारह महादोश से रहित होते है। पंच महाव्रत के पालन हार सुगुरू और दया युक्त अहिंसामय धर्म, इन तत्वों की भलीभांति परीक्षा करके, उन पर सुदृढ़ श्रद्धा रखना, इसी को आस्था, श्रद्धा अथवा सम्यग दर्शन कहते है। प्रन्यास प्रवर ने आगे कहा कि समकित धर्म रूपी वृक्ष का मूल है। धर्मचुरी का भव्य द्वार है। धर्मरूपी महल की नींव है। समस्त धर्मों का आधार है। गुण रूपी रत्नों का भंडार है। मनुष्य के जीवन में श्रद्धा तो होनी चाहिए, लेकिन अंध श्रद्धा से दूर रहेंगे, तो कष्टों से बचेंगे।

मनुष्य श्रद्धा में कमजोर होकर धर्म से हो रहा विमुख

प्रन्यास प्रवर ने आगे कहा कि आस्था में कभी भावुकता ना लाएं, बल्कि भव्यता लाएं। जैन धर्म पाखंड, पापाचार और कुप्रवृत्तियों को कदापि स्वीकार नहीं करता है। आजकल मनुष्य श्रद्धा में कमजोर होकर धर्म से विमुख होकर, इधर-उधर भटक कर समय, धन और आत्मा को बिगाड़ रहे है। जो उचित हो, जो हितकारी हो, उसी संस्कार को स्वीकार करना, मंगलकारक है।

‘सम्यग दर्शन’ पद की आराधना की

बावन जिनालय में गुरूवार को सुबह 6 बजे सिद्ध चक्र के ंयंत्र पर पंचामृत से अभिषेक किया गया। बाद केसर पूजन हुई। सिद्ध च्रक्रजी की स्नात्र पूजन पढ़ाई गई। आराधकां द्वारा छटवे दिन 67 स्वस्तिक, 67 खमासमणे, 67 लोग्सय का काउसग्ग कर ‘ओ रीं श्री नमो दंसणस’ के जाप किए गए। 20 माला अर्थात 2160 बार जाप किया गया। तत्पश्चात् सिद्ध चक्र की नवपदों की सामूहिक आरती हुई। दोपहर में आयंबिल का सभी आराधकों ने लाभ लिया। शाम को सामूहिक प्रतिक्रमण हुआ। 11 अक्टूबर, शुक्रवार को सातवें दिन आराधक ‘ज्ञान’ पद की आराधना करेंगे।

श्री राजेन्द्र सूरी गुरूपद महापूजन का होगा आयोजन

13 अक्टूबर, रविवार को आसोज सुदी पूर्णिमा पर बावन जिनालय गुरू हॉल में सुबह 8 से दोपहर 12 बजे तक श्री राजेन्द्र सूरी गुरूपद महापूजन का आयोजन रखा गया है। यह पूजन अष्ट प्रभावक नरेन्द्र सूरीश्वरजी मसा ‘नवल’ की पावन निश्रा में होगी। संयोजक प्रन्यास प्रवर जिनेन्द्र विजयजी मसा ‘जलज’ है। पूजन का आयोजन श्री संघ की वरिष्ठ श्राविका श्रीमती मांगूबेन शांतिलाल सकलेचा परिवार की ओर से रखा गया है। यह पूजन संगीतमय रूप से विधि-विधानपूर्वक संपन्न होगी।

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