यह संसार निमित्तों से भरा हुआ है - अष्ट प्रभावक नरेन्द्र सूरीजी
आचार्य ने उपाध्याय प्रवर मोहन विजयजी की महामांगलिक श्रवण करवाई
झाबुआ (मनीष कुमट) - स्थानीय श्री ऋषभदेव बावन जिनालय स्थित पोषध शाला भवन मंे 26 सितंबर, गुरूवार को सुबह धर्मसभा में प्रवचन देते हुए प्रन्यास प्रवर जिनेन्द्र विजयजी मसा ने समाजजनांे से कहा कि नर्क के जीवों को परमा धामी देवता कष्ट देते है। क्षेत्र कृत ठंडी-गर्मी सहना पड़ती है, वे एक-दूसरे को मार काट देते है।
पहली नर्क में जघन्य से 10000 वर्ष का उत्कृष्ट आयुष्य होता है। दूसरा नर्क में 3 सागरोपम, तीसरी में 7, चैथी में 10, पांचवी में 17, छट्टी में 22 एवं सातवीं नर्क में 33 सागरोपम का उत्कृष्ट आयुष्य होता है। ठीक उसी प्रकार प्रन्यास प्रवर ने आगे देवलोक का वर्णन करते हुए कहा कि वहां वैक्रिय शरीर होता है। असूची नही होती, योवन काया का अनुभव करती है। जिनेन्द्र विजयजी ने कहा कि जन्म के समय पीढ़ा नहीं, रोग नहीं, बाल्यावस्था, वृद्धावस्था नहीं, देवताआंे का जघन्य आयुष्य 10000 वर्ष एवं उत्कृष्ट 33 सागरोपम होता है।
यह संसार निमित्तों से भरा हुआ है
प्रन्यास प्रवर ने आगे बताया कि जिस तरह सोने में संुगध नहीं होती, गन्ने के फल नहीं होती, चंदन के फूल नहीं होते एवं विद्वान के पास धन नहीं होता है, ठीक उसी प्रकार लक्ष्मी चिरंजीवी नहीं होती। गुरूवार को प्रवचन बाद अष्ट प्रभावक नरेन्द्र सूरीष्वरजी मसा ने उपाध्याय प्रवर श्री मोहन विजयजी मसा की महामांगलिक श्रवण करवाई एवं कहा कि यह संसार निमित्तों से भरा हुआ है। संत तुकाराम एवं संत एकनाथ के दृष्टांत से उन्होंने इस दौरान अवगत करवाया।
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