शासकीय भूमि के नामंत्रण को लेकर एसडीओ ने की अपील निरस्त | Shashkiy bhumi ke namantran ko lekar sdo ne ki apil nirast

शासकीय भूमि के नामंत्रण को लेकर एसडीओ ने की अपील निरस्त


मेघनगर (जियाउल हक क़ादरी) - नगर में गत 2 वर्षों से माननीय अनुविभागीय अधिकारी राजस्व न्यायालय मेघनगर के समक्ष वसीम पिता इलियास गडुली मुसलमान की अपील क्रमांक 0006 अ 17/18 जो नगर के शासकीय सर्वे क्रमांक 609/2 रकबा 0.130 हेक्टेयर की चरनोई भूमि जो कि वर्ष 1984 में भुवनेश पिता बंसीलाल शर्मा ने अपने राजनीतिक दबाव प्रभाव से राजस्व रिकार्ड में अपना नाम की टिप लगवाते हुए दूसरे वर्ष 1985 में उक्त भूमि का व्यवस्था में अपना नाम दर्ज करवा लिया गया जबकि मौके पर भूमि का आवंटन ही नहीं हुआ था वही शर्मा को भूमि का अधिकार भी नहीं दिया गया जिस कारण उक्त भूमि पर शर्मा अपना कब्जा कभी दर्शया ही नहीं पाया शर्मा की मृत्यु के बाद एक लंबे समय तक उक्त भूमि पर उसके परिवार द्वारा किसी ने अपना दावा प्रस्तुत भी नहीं किया परंतु वर्ष 2011 में भू-माफिया की गिद्ध दृष्टि शासकीय भूमि पर पड़ी तब इन्होंने षड्यंत्र पुर्वक उक्त भूमि को शर्मा की बेवा सुमन देवी के नाम नामांकन करवाया और तत्काल में वर्ष 2012 में भूमि को आनन-फानन में विक्रय करा कर वसीम के नाम करवा कर तत्काल में नामांतरण करवाते हुए उक्त शासकीय भूमि पर रात दिन निर्माण कार्य चालू कर दुकान व बाउंड्री वॉल बनाना शुरू कर दिया यहां यह उल्लेख है कि उक्त भूमि पर कई वर्षों पुराना कालका माताजी का मंदिर होकर आसपास की खुली शासकीय भूमि मंदिर के धार्मिक आयोजनों में सार्वजनिक उपयोग उपभोग के काम में आती थी उस पर हो रहे अवैध निर्माण को लेकर मंदिर के पुजारी कालू पिता मडीया डामोर उनके साथी बहादुर सिंह वसुनिया ने जिला कलेक्टर कार्यालय में जनसुनवाई में शिकायत आवेदन प्रस्तुत किया इसकी जांच के दौरान तत्कालीन तहसीलदार ने अनुविभागीय अधिकारी राजस्व से अनुमति लेकर सूक्ष्म जांच कर विधिवत कार्रवाई कर सर्वप्रथम सुमन देवी का नामांतरण निरस्त किया  और साथ ही वसीम का नामांतरण भी निरस्त किया जिससे व्यथित होकर वसीम द्वारा माननीय व्यवहार न्यायालय में वाद प्रस्तुत किया और स्थगन  चाहा रहा परंतु यहां सफलता ना मिलने पर जिला न्यायालय में अपील पेश की और साथ ही तहसीलदार के आदेश दिनांक 12 6 2017 की अपील अनुविभागीय अधिकारी राजस्व मेघनगर के समक्ष की जिसको लेकर प्रतिप्रार्थी कालू और बहादुर ने अपना मत रखने के लिए विद्वान अधिवक्ता सलीम कादरी एवं जिया उल हक कादरी को नियुक्त किया विगत 2 वर्षों तक चले प्रकरण में प्रतिप्रार्थी की ओर से अधिवक्ताओं ने माननीय उच्चतम न्यायालय के कई न्याय दृष्टांत (रूलिंग) अपना पक्ष रखते हुए प्रस्तुत की वही माननीय न्यायालय को उक्त भूमि शासकीय होकर अवैधानिक तरीके से हड़पने के प्रयास को सिद्ध कर दिया जिस पर माननीय न्यायालय ने प्रतिप्रार्थी के वकील द्वारा प्रस्तुत तर्कों को स्वीकार करते हुए दिनांक 16.09.2019 में दिए गए अपने महत्वपूर्ण निर्णय में यह उल्लेख किया कि केवल आधिपत्य दर्शाया जाना ही स्वत्व अधिकार का प्रभाव नहीं है उससे अधिकार अर्जित नहीं होता तथा प्रतिप्रार्थी का पक्ष  मजबूत होने से अधिनस्थ तहसील न्यायालय का आदेश दिनांक 11.05.2017 को हस्तक्षेप किया जाना उचित नहीं है अपीलर्थी वसीम द्वारा प्रस्तुत अपील खारिज की गई यहां यह उल्लेखित है कि माननीय अनुविभागीय अधिकारी न्यायालय ने अधिकारी तहसीलदार को निर्देशित किया कि शासकीय भूमि में निर्मित कालका माता मंदिर को शासकीय घोषित करने तथा पुजारी नियुक्ति की संपूर्ण आवश्यक कार्रवाई कर प्रस्ताव शीघ्र वरिष्ठ कार्यालय को भिजवाए तथा उक्त शासकीय भूमि का रजिस्ट्री विलेख को शून्य घोषित कराने हेतु न्यायालय में प्रशासन की ओर से अलग से वाद दायर करें माननीय अनुविभागीय अधिकारी पराग जैन के इस ऐतिहासिक निर्णय की सर्व समाज ने भूरी भूरी प्रशंसा की

Post a Comment

Previous Post Next Post