सरेआम घूमती हैं काली फिल्म लगी गाड़ियां
धमानोद (मुकेश सोडानी) - सुप्रीम कोर्ट की ओर से देश में भले ही काली फिल्म लगी गाड़ियों पर प्रतिबंध लगा दिया गया है, परंतु बावजूद इसके शहर में बहुत सी गाड़ियों के शीशों पर काली फिल्म चढ़ी हुई है और ये गाड़िया शहर में सरेआम घूमती रहती हैं। काले शीशे अधिकतर शहर के अमीरजादों की ओर से गाड़ियों में लगवाई जाती है, मगर इसी आड़ में कई अपराधी किस्म के लोग भी गाड़ियों पर इस फिल्म का प्रयोग कर समाज के लिए खतरा बन सकते हैं शहर में शनिवार को घूम रही गाड़ियों का जायजा लिया तो देखा गया कि शहर में बहुत सी काले शीशे का गाड़ियां सरेआम घूम रही थीं। युवाओं और समाज में खास पहचान वाले अमीर लोगों में गाड़ियों में काली फिल्म लगाने का शौक बढ़ा है, वहीं काली फिल्म लगी गाड़ियां आपराधिक किस्म के लोगों के लिए वरदान साबित हो रही हैं। आपराधिक किस्म के लोग काली फिल्म लगी गाड़ी में अपराध करके निकलने में आसानी से कामयाब हो सकते हैं।
300 से लेकर 500 में लगती है काली फिल्म
काले शीशे करवाने के लिए मात्र तीन सौ रुपये से लेकर पांच सौ रुपये तक खर्च होते हैं। कार गैलरी का कार्य करने वाले एक दुकानदार ने अपना नाम न छापने की शर्त पर बताया कि गाड़ी के शीशों पर काली फिल्म चढ़ाने पर पाबंदी है, मगर कई लोग उनके पास गाड़ियों पर शीशे चढ़वाने के लिए आ जाते हैं और धंधे में शामिल कार्य होने के कारण उन्हें मजबूरी में काली फिल्म शीशों पर चढ़ानी पड़ती है।
नहीं चलने दी जाएंगी काली फिल्म की गाडि़यां : थानाप्रभारी
धमानोद थाना प्रभारी दिलीप चैधरी ने बताया कि काले शीशे की गाड़ियों पर पूर्ण तौर से पाबंदी है अब उन्होंने शहर के सभी ट्रैफिक प्रभारियों को हिदायत दी है कि है ऐसी गाड़ी चालकों से गहन पूछताछ की जाए जो काली फिल्म की गाड़ियां चल रही हैं उनके चालान काटे जाये।
कौन-कौन लगाते हैं गाड़ी में काली फिल्म
महिलाओं के साथ दोस्ती रखने वाले करते हैं काले शीशों का प्रयोग।
आपराधिक छवि के लोग भी करते हैं काली फिल्म वाले शीशों का प्रयोग।
ऊंची पहुंच के लोग भी लगवाते हैं गाड़ी को काली फिल्म।
कुछ लोग शौक से लगाते हैं काली फिल्म
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