संवत्सरि प्रतिक्रमण बाद समाजजनों ने की एक-दूसरे से क्षमायाचना, आज होगा सभी तपस्वियों के पारणे का आयोजन
झाबुआ (अली असगर बोहरा) - श्री ऋषभदेव बावन जिनालय में चातुर्मास और पर्यूषण महापर्व के अंतर्गत धर्म, आराधनाओं और जप-तप का दौर जारी है। सभी आयोजन जैन धर्म दीवाकर अष्ट प्रभावक आचार्य देवेष श्रीमद् विजय नरेन्द्र सूरीष्वरजी मसा ‘नवल’ एवं प्रन्यास प्रवर जिनेन्द्र विजयजी मसा ‘जलज’ की निश्रा में हो रहे है। जिसमें समाजजन बढ़-चढ़कर उत्साह के साथ भाग ले रहे है।
पर्यूषण महापर्व के तहत 2 सितंबर को संवत्सरी पर्व मनाया गया। सोमवार को सुबह 5.15 से प्रतिक्रमण हुआ। 6.30 बजे से पोषध प्रारंभ हुए। 8 बजे से कल्पसूत्रजी के मूल ग्रंथ बारसा सूत्र का वाचन आचार्य नरेन्द्र सूरीष्वरजी मसा ‘नवल’ द्वारा किया गया। बारसा सूत्र ग्रंथ को योगेष जैन परिवार द्वारा व्होराया गया। पांच लाभार्थी परिवारों में क्रमषः यषवं निखिल भंडारी, राजेन्द्र राकेष मेहता, मधुकर शाह, ओच्छबलाल जैन एवं श्रीमती लीलाबाई शांतिलाल भंडारी द्वारा ग्रंथ की वाक्षेप पूजन की गई। तत्पष्चात् ग्रंथ की अष्टप्रकारी पूजन अषोककुमार संघवी परिवार, ज्ञान की आरती विमलकुमार विपुलकुमार कटारिया एवं बारसा सूत्र को अक्षत-मोती से बधाने का लाभ रमेषचन्द्र बाठिया परिवार ने लिया। तत्पष्चात् आचार्य श्रीजी द्वारा सत्त 3 घंटे तक बारसा सूत्र का वाचन किया गया। शाम 4 बजे से संत्वत्री प्रतिक्रमण हुआ, जो सत्त 7 बजे तक चला। इसके अंतर्गत विषेष रूप से धार्मिक क्रियाओं के साथ समाजजनों द्वारा वर्षभर में हुई गलतियों के लिए 84 लाख जीवा योनियों से क्षमायाचना की गई।
100 से अधिक श्रावक-श्राविकओं ने किया पोषण व्रत
बावन जिनालय में करीब 100 श्रावक-श्राविकाओं द्वारा पोषण व्रत कर मंदिर में रहकर धार्मिक क्रियाआें मे ंलीन रहे। जिनको आचार्य नरेन्द्र सूरीजी एवं प्रन्यास प्रवर जिनेन्द्र विजयजी मसा द्वारा निश्रा प्रदान की गई। आठो दिन पोषण व्रत करने वाले श्रावक-श्राविकाओं के प्रभावना का लाभ यषवंत, निखिल, शार्दुल भंडारी परिवार ने लिया।
आज होगा पारणे का आयोजन
3 सितंबर को सुबह 7.30 बजे से पोषध शाला भवन में श्रीमती वालीबाई समीरमल भंडारी की स्मृति एवं श्रीमती श्वेता भंडारी के भक्तामर महातप के उपलक्ष में यषवंत, निखिल, शार्दुल, जिनांष भंडारी परिवार द्वारा पारणे का आयोजन होगा। करीब 500 से अधिक तपस्वी पारणे का लाभ लेंगे। इस दौरान समाजजनों द्वारा परस्पर एक-दूसरे से क्षमायाचना भी की जाएगी।