प्रन्यास प्रवर ने प्रवचन में समाजजनों को मुनि के आहार करने एवं त्यागने के बताएं कारण
झाबुआ (मनीष कुमट) - स्थानीय जैन तीर्थ श्री ऋषभदेव बावन जिनालय स्थित पोषध शाला भवन में 20 सितंबर, शुक्रवार को सुबह धर्मसभा में अपने प्रवचनों में प्रन्यास प्रवर जिनेन्द्र विजयजी मसा ने भरहेसर की सज्झाय के माध्यम से ढंढण अणगार के दृष्टात को सुनाया कि 6 कारणों से आहार करना चाहिए और 6 कारणों से आहार नहीं करना चाहिए।
क्षुधा वेदना उपषमन हेतु, अन्य मुनियों की वैयावच्च हेतु, संयम पालन के लिए, शुभ ध्यान हेतु,, प्राण रक्षा हेतु एवं विहार के कारण मुनि आहार करते है। साथ ही 6 कारणों रोग आने पर, मोह के उदय होने पर, स्वजन से उपसर्ग आने पर, जीव दया हेतु तप करने के कारण एवं शरीर का त्याग करते समय मुनि आहार का त्याग करते है।
आत्म ज्ञान प्राप्त हुआ और केवल ज्ञान प्राप्त हुआ
प्रन्यास प्रवर ने समाजजनों को बताया कि नेमिनाथ भगवान की वाणी को सुनकर श्री कृष्ण पुत्र. ढंढण ऋषि ने भगवान के सामने यह प्रण लिया कि स्व लब्धि से भिक्षा मिलेगी, तो ही आहार ग्रहण करूंगा। यह अभिग्रह पूर्व के जन्म के कारण फलित नहीं हुआ। बहू तेरा प्रयास करने के बाद में भी जब श्री कृष्ण के निवेदन से नेमिनाथ भगवान ने कहा कि किसी श्राविका ने मोदक वैराकर यह अभिग्रह पूर्ण किया, परन्तु उसमें भी सुलह प्रगट नहीं हुई, इसलिए ठंडे भूमि में मिट्टी को मिलाकर आत्म ज्ञान प्राप्त हुआ और केवल ज्ञान प्राप्त हुआ। यह दृष्टांत विभिन्न श्लोक, मुक्तक एवं दोहे के माध्यम से प्रन्यास प्रवर ने कहीं। प्रन्यास प्रवर ने आगे कहा कि भरहे सर की सच्चाइ्र्र में प्रथम गाथा की दूसरी लाईन में श्रीयक का वर्णन आता है।
मांगलिक श्रवण करवाते हुए विद्याचन्द्र सूरीजी के जीवन पर डाला प्रकाश
शुक्रवार को अष्ट प्रभावक नरेन्द्र सूरीष्वरजी मसा ने भाण्डवपुर राजे सकल समाज महावीर स्वामीजी की मांगलिक सुनाते हुए विद्याचन्द्र सूरीजी के जीवन पर प्रकाष डाला। आचार्य नरेन्द्र सूरीजी की सूरी पद आराधना निरंतर गतिमान हे। आसोज सुदी एकम को इस आराधना एवं साधना की पूर्णाहूति पर विशेष कार्यक्रम का आयोजन झाबुआ श्री संघ द्वारा किया जाएगा।
Tags
jhabua