महाराजा अग्रसेन की जयंती नगर सहित देश विदेश में रहने वाले अग्रवाल समाज बन्धु बना रहे है - परामर्शदाता पीरचंद मित्तल | Maharaja agrasen ki jayanti nagar sahit desh videsh main rehne wale agrawal samaj bandhu bana rhe

महाराजा अग्रसेन की जयंती नगर सहित देश विदेश में रहने वाले अग्रवाल समाज बन्धु बना रहे है - परामर्शदाता पीरचंद मित्तल

महाराजा अग्रसेन की जयंती नगर सहित देश विदेश में रहने वाले अग्रवाल समाज बन्धु बना रहे है - परामर्शदाता पीरचंद मित्तल

सेंधवा (रवि ठाकुर) - देश मे समाजवाद की नींव आज़ से पांच हजार वर्ष पूर्व महाराजा अग्रसेन ने अपने राज्य आग्रहों में रखी थी । आज हर राजनीतिक पार्टियां देश मे समाजवाद की बात करती है । ऐसे दिव्यदृष्टि रखने वाले महाराजा अग्रसेन की जयंती नगर ही पूरे देश विदेश में रहने वाले अग्रवाल समाज बन्धु बना रहे है । उक्त बात समाज के परामर्शदाता पीरचंद मित्तल ने अग्रसेन जयंती के उदघाटन के अवसर पर दोपहर 11 बजे मंगल भवन में व्यक्त किये ।

महाराजा अग्रसेन की जयंती नगर सहित देश विदेश में रहने वाले अग्रवाल समाज बन्धु बना रहे है - परामर्शदाता पीरचंद मित्तल

महाराजा अग्रसेन के जयकार व आरती के साथ उदघाटन किया गया । इस अवसर पर समाज अध्यक्ष कैलाश एरन, संरक्षक गोपाल तायल ने भी संबोधित करते हुए कहा कि अग्रवाल समाज को देश में समान की नजरो से देखा जाता है समाज देश में समाजसेवा में हमेशा अग्रणी रहा है । उदघाटन के पश्चात किले अंदर सीमित अवर क्रिकेट प्रतियोगिता प्रारम्भ हुए । शाम 7 बजे  रघुवंश पब्लिक स्कूल में अग्रसेन गाथा का बाम्बे के कलाकरों द्वारा मंचन किया गया । इस दौरान स्व प्रहलाद दास गर्ग को समाजसेवा के लिए उनके परिवार को सम्मानित किया गया इसके साथ अखिल भारतीय केंद्रीय समिति के युवा अध्यक्ष योगेश अग्रवाल को भी समानित किया । इस अवसर पर अग्रवाल ने बताया कि अग्रसेन महाराजा के जीवन पर यह प्रथम नाटकीय  मंचन है जो देश मे 15 वा शो है । इस नाटिका का उद्देश्य समाज मे समाजवाद व भाई चारा व एकता का संदेश देना है ।

प्रदीप गुप्ता द्वारा निर्देशित नाटिका में महाराजा अग्रसेन के जन्म से लेकर एक रुपया एक ईंट तक का सफल दर्शया गया । महाराजा अग्रसेन पूर्व से ही राज घराने से थे महाराजा अग्रसेन के पिता वल्लभसेन के समय यह वंश सूर्यवंश के नाम से जाना जाता था । वल्लभसेन के बाद जब राज गद्दी अग्रेसन को मिलने वाली थी उस समय अग्रसेन के चाचा कुंडसेन ने षड्यंत्र रचकर अग्रसेन की हत्या की योजना बनाई थी इसकी जानकारी होने से अग्रसेन वहा से भाग कर वन वन भटक कर गर्ग ऋषि के मार्गदर्शन में अपना नया राज्य स्थापित कर अग्रोहा धाम की स्थापना की राज्य को मजबूत बनाने के लिए व शक्ति बढ़ाने के लिए नागकन्या से विवाह किया । इस दौरान राज्य में अहिंसा के लिए बलि प्रथा को बंद किया गया जिससे वे क्षत्रिय से वैश्य हो गए । तब से अग्रसेन के वंशज व्यापारी बन गए । अग्रसेन के 18 गोत्र में एक गोत्र में बलि न होने से अधूरा गोत्र होकर साढ़े सत्रह गोत्र ही रहे । अग्रसेन ने अपने 18 पुत्रों का भी सामूहिक विवाह नाग कन्या से की थी । नाटक मंचनं के पश्चात आरती में 11 दीपक के साथ मोबाइल की रोशनी में महाराजा अग्रसेन आरती सबसे आकर्षण का केंद्र रही । कार्यक्रम का संचालन सुनील अग्रवाल व हेमन्त गर्ग ने किया ।

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