करमसरा मछुआ समिति मत्स्य पालन से हो रही समृद्ध
बालाघाट (टोपराम पटले) - बालाघाट जिले के आदिवासी विकास बाहुल्य क्षेत्र एवं प्रसिद्ध ताम्र परियोजना मलाजखण्ड के निकट पंजीकृत अजय एकता मछुआ सहकारी समिति करमसरा को विभाग द्वारा ग्रामीण तालाब एवं सिंचाई जलाशयों में मत्स्य पालन कार्य हेतु दस वर्षीय 2010 से 30 मार्च 2020 तक पट्टा प्रदाय किया गया है। यह समिति मत्स्य पालन से अच्छा-खासा लाभ कमा रही है और इससे इस समिति से जुड़े मछुआरे का जीवन भी समृद्ध हो रहा है।
मत्स्योद्योग विभाग द्वारा संचालित नील क्रांति योजना के अंतर्गत समिति के कार्यक्षेत्र के करमसरा जलाशय जलक्षेत्र 43.33 वर्ष भर पानी की उपलब्धता होने के कारण केज कल्चर की स्थापना वर्ष 2016-17 में शत प्रतिशत अनुदान पर की गई है। इस प्रकार 6 केज वाली एक बैटरी में 4000 नग फंगेशियस फिंगरलिंग प्रति केज डाला जाकर कुल 24 हजार नग फंगेशियस मत्स्य बीज का संचय किया गया। मत्स्य बीज क्रय पर 72 हजार रुपये एवं 30 टन प्रोटीन युक्त मत्स्य आहार के लिए समिति ने एक लाख रुपये व्यय किया था। इस प्रकार लगातार देख-रेख एवं प्रोटीन युक्त आहार दिये जाने से मछलियों का वजन 1 से डेढ़ किलोग्राम एक वर्ष में प्राप्त हो रहा है। केज में 18 से 20 टन मछली उत्पादन की सम्भावना है, जिससे लगभग 18 से 20 लाख रुपये की आय अर्जित होगी। समिति द्वारा 7 टन मछली बाजार में विक्रय कर 7 से 7.50 लाख रुपये की आय अर्जित की गई है।
समिति का कार्यक्षेत्र कान्हा राष्ट्रीय उद्यान के समीप होने के कारण यहां सैलानियों की काफी आवाजाही होती है, जिस कारण नजदीकी विश्राम गृहों रेस्टोरेंट एवं रिसोर्ट में इसकी मांग होने के कारण समिति के सदस्यों द्वारा आपूर्ति की जाती है। साथ ही ताम्र परियोजना के पास में स्थित होने से उसमें कार्यरत कर्मचारियों में भी अच्छी खासी खपत हो जाती है। मछली की मांग एवं सही समय में आपूर्ति होने से मूल्य भी अच्छा मिल जाता है, साथ ही विक्रय हेतु बाजार हमेशा उपलब्ध रहता है, जिससे समिति को मछली से अच्छी आय अर्जित हो रही है एवं समिति के सदस्यों की आर्थिक स्थिति में भी सुधार परिलक्षित हो रहा है।
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