गुणवत्तापूर्ण शोध कार्य एवं शोध संस्थान की भूमिका पर हुआ मंथन | Gunvattapurn shodh kary ewam shodh sansthan ki bhumika pr hua manthan

गुणवत्तापूर्ण शोध कार्य एवं शोध संस्थान की भूमिका पर हुआ मंथन


छिंदवाड़ा/बिछुआ (हेमराज मांडेकर) - बिछुआ में मध्य प्रदेश उच्च शिक्षा विभाग शोध कार्य की गुणवत्ता उन्नयन हेतु सतत प्रयासरत है। विभाग की मंशा को अमलीजामा पहनाने हेतु शासकीय महाविद्यालय बिछुआ में स्नातकोत्तर विद्यार्थियों के लिए एक दिवसीय गुणवत्ता पूर्ण शोध कार्य एवं शोध संस्थान की भूमिका विषय पर कार्यशाला का आयोजन किया गया। मीडिया प्रभारी निरंजन सिंह राजपूत ने विज्ञप्ति जारी करते हुए बताया कि कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रभारी प्राचार्य प्रणीत स्वरूप ने किया। मंचासीन डॉ विवेक तिवारी, डॉ रामकुमार उसरेठे, डॉ गजेन्द्र नामदेव डॉ आशीष मेश्राम,डॉ फरहत मंसूरी, डॉ नोखेलाल साहू, डॉ तबस्सुम अंसारी विशेष वक्ता के रूप में उपस्थित हुए। शोध कार्य एवं संस्थान पर प्रकाश डालते हुए मुख्य वक्ता डॉ तिवारी ने कहा कि भारत सरकार रक्षा बजट के बाद सकल बजट का 12% शोध कार्य में खर्च करती है। भारत में 150 शोध संस्थानो को देश-विदेश से फंड प्राप्त होता है। उन्होंने ने कहा कि शोध, व्यक्तित्व का बौद्धिक विकास करता है यह पूर्वाग्रहों की निदान और निवारण में सहायक है। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए वक्ता डॉ गजेंद्र नामदेव ने कहा कि जल, जंगल, जमीन और जलवायु जीव जगत के आधारभूत तत्व है इनके दृष्टि जनित शोध कार्य की महती आवश्यकता है। रामकुमार उसरेठे  ने कहा की शोध मानव ज्ञान को दिशा प्रदान करता है, उन्होंने उत्कृष्ट शोध संस्थानों की उपादेयता पर प्रकाश डाला। नोडल अधिकारी अजीत सिंह गौतम ने व्यक्तित्व विकास प्रकोष्ठ के अंतर्गत आयोजित इस कार्यशाला में शोध कार्य के बदलते नए आयाम पर प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ जिनेन्द्र चौहान एवं आभार डॉ साकेत ने माना। इस दौरान कार्यक्रम को सफल बनाने में अनिल कोठे, विनोद शेण्डे, दिनेश मेश्राम, सायमा सरदेशमुख एवं विद्यार्थी साक्षी श्रीवास, शालिनी चौरागढ़े, अभिलाषा खरपुसे, रीना राय एवं रजनी बंदेवार ने कार्यक्रम को सफल बनाने में महती भूमिका निभाई।

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