गाय की सेवा और मां सेवा एक समान, गौ दान का अपना महत्व
धामनोद (मुकेश सोडानी) - जहां गाय का वास है वहां स्वयं गोपाल का वास होता है। गाय का महत्व प्राचीनकाल में तो था ही, पर वर्तमान युग में वैज्ञानिकों ने भी गाय से मिलने वाली हर वस्तु की उपयोगिता को स्वीकार किया है। यह बात कथा वाचक पण्डित भरत बिल्लोरे ने ओम शांति आश्रम मंदिर में चल रही गाय का घी गोबर मूत्र दूध दही अमृत के समान
बिल्लोरे जी ने कहा कि हम अपनी केवल आस्था व संवेदनाएं प्रकट करके गौ रक्षा के लिए अपना मत प्रकट करते हैं। पर हम वहां प्रकट क्यों नहीं करते हैं जहां प्राकृतिक आपदा को छोड़कर किसी की भी लापरवाही के कारण स्वस्थ गौवंश की अस्वाभाविक मौत हो जाती है। यह हमारी नैतिक जिम्मेदारी होनी चाहिए कि हमने जिस गाय को दूध देने तक पाला उसे दूध न देने पर भी पालन चाहिये
भीष्म पितामह ने युधिषिठर को कथा सुनाई थी पितामह का कहना था कि गाय का मूत्र और गोबर इतना गुणवान है कि इससे हर रोग का निवारण हो सकता है ।
इतना ही नहीं गाय में माँ लक्ष्मी का भी वास होता है। इसलिए इसे बहुत शुभ माना जाता है । बस यही कारण है कि इस मौके पर हम आपको ये कथा सुना रहे है और गाय की पवित्रता भी दर्शा रहे है ।
हमारे हिन्दू धर्म में गाय को माँ का दर्ज़ा दिया जाता है । कुछ लोग इससे गाय माँ और कुछ गाय माता कहते है ।यहाँ तक कि अगर हम शास्त्रो का इतिहास देखे तो गाय भगवान् कृष्ण को बहुत प्रिय लगती थी। इसलिए तो वो ज्यादातर समय अपनी गायों के साथ व्यतीत करते थे । ये अलग बात है कि आज कल गाय को खाने की वस्तु के रूप में भी प्रयोग किया जाने लगा है। जिसके लिए बहुत खेद है।
इस देस मैं राम नवमी के दिन किसी बच्चे मैं राम का दर्शन कर के उसे पूजा नहीं जाता और कृष्ण जनम दिवस पर भी किसी बच्चे मैं कृष्ण का दर्शन कर के उसे पूजा नहीं जाता पर इस देस मैं एक नहीं दो दो बार नौ नौ दिन नवरात्रि मैं कन्या को देवी के रूप मैं पूजा जाता हैं। इस देस मैं केवल गौ माता और कन्या को प्रत्यक्ष देवी मान कर उनकी पूजा होती हैं। इसीलिए कन्यादान और गाय दान का अपना एक महत्व होता है
धेनु मानस की एक चोपाई हैं : गौ कन्या दोनों एक रूपा।
इन सम नहीं कोउ जगत अनूपा। भारतीय गौ माता मैं ३३ करोड़ देवता हैं। ये बात साबित करता हुआ एक प्रसंग :एक भाई ने थोडा थोडा जहर गौ माता को दिया और फिर गाय के दूध मैं उसने मशीन लगाया जहर नहीं था। गाय के गोबर मैं उसने मशीन लगाया जहर नहीं था। गाय के गौ मूत्र मैं उसने मशीन लगाया जहर नहीं था। वो सोचने लगा जहर गया तो गया कहाँ। फिर उसने गाय के गले मैं देखा तो एक सुजन सी हो गयी थी। उसमे उसने मशीन लगाया सारा जहर वही था। गाय के गले मैं शंकर भगवान को वास हैं। शंकर भगवान ने विष पिया था और अभी भी सारा विष पि जाते हैं ।
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