करीब 200 से अधिक गांव को जोड़ने वाले शासकीय अस्पताल धामनोद में चिकित्सकों की कमी
धामनोद (मुकेश सोडानी) - नगर का शासकीय अस्पताल भले ही पुराने अस्पताल से नए अस्पताल मैं जाकर स्थापित हो गया लेकिन अस्पताल में ढर्रा वही पुराना और यथावत है हालांकि अस्पताल में कार्यरत नर्स और डॉक्टर इमानदारी से अपना कार्य करते हैं लेकिन मरीजों की संख्या अधिक होने और डॉक्टरों की कमी के चलते यहां आए दिन मरीजों के और चिकित्सकों के विवाद होते हैं देखें एक नजर धामनोद के अस्पताल पर
सरकारी अस्पताल/ स्वास्थ्य केंद्र पर प्रतिदिन कितने मरीज आते हैं।
शासकीय अस्पताल में प्रतिदिन 200 से 300 मरीज प्रतिदिन आते हैं जिसकी महीने में संख्या हजारों की हो जाती है
2.कितने डॉक्टर और नर्सिंग स्टाफ मौजूद है। क्या डॉक्टर प्रतिदिन अस्पताल में मौजूद रहते हैं। यदि नहीं तो हाल ही में कितने का गेप किया।
अस्पताल में पांच पुरुष डॉक्टर तथा एक महिला चिकित्सक है तथा 9 नर्स कार्यरत है पुरुष डॉक्टर में प्रकाश कीयावत संजय पाटीदार महेंद्र डावर जोगेंद्र डावर अशोक सक्सेना एवं महिला चिकित्सक अर्चना कश्यप है
सभी नियमित रूप से अपनी सेवाएं देते हैं
3.दवाईयों का क्या इंतजाम है। क्या किसी दवाई की कमी है और यह दवा किसी बीमारी के काम आती है।
अस्पताल में पर्याप्त दवाइयों का इंतजाम है कभी कबार रेबीज के इंजेक्शन को लेकर मरीज परेशान होते हैं तथा बाजार से खरीद कर इंजेक्शन पीड़ित मरीज को लगवाते है पिछले 15 दिन से रेबीज के इंजेक्शन अस्पताल में नहीं है बीपी की गोली अभी अस्पताल में मौजूद नहीं है
4.पिछले एक महीने में कितने मरीज आए और कितने रैफर किए गए।
पिछले 1 महीने में करीब 9000 से अधिक मरीज अस्पताल में आय तथा ढाई सौ मरीज से अधिक को इंदौर रैफर किया गया
5.संसाधनों में किस तरह की कमी है। मसलन आपका अस्पताल बड़ा है और यहां किसी बड़ी बीमारी का मरीज आता है। डॉक्टर तो मौजूद है, लेकिन उपकरण नहीं होने पर मरीज को रैफर करना पड़ता है। तो क्या अब तक उन उपकरणों की मांग की गई है।
अस्पताल में हड्डी रोग विशेषज्ञ बच्चों के डॉक्टर तथा सीजर स्पष्ट नहीं होने के कारण कई बार मरीजों को इंदौर रेफर करना पड़ता है या निजी अस्पताल में जाना पड़ता है क्योंकि इनसे संबंधित डॉक्टर अस्पताल में नहीं होने के कारण इनके उपकरण की मांग भी प्रशासन से अभी तक नहीं की गई
अव्यवस्थाओं का आलम है पूर्व में महेंद्र पाल सिंह डावर बीएमओ थे तब उन्होंने अस्पताल की देखरेख निजी चिकित्सालय के अनुरूप की थी लेकिन जब से बीएमओ बीआर कौशल की पदस्थापना हुई है तब से अस्पताल में अवस्थाएं चरम पर हो गई है मरीज फटे हुए बेड पर सोते हैं यदि कोई विरोध करता है तो जद्दोजहद की स्थिति यहां तक पहुंच जाती है कि मरीज के खिलाफ थाने पर आवेदन दिया जाता है पूर्व में भी कई बार मरीजों से विवाद यहां पर हुआ था यहां तक कि कुछ मरीज के परिजनों पर एफआईआर तक दर्ज करवा दी गई
शनिवार को अस्पताल में देखा पलंग पर चादर तक नहीं बिछी थी
शनिवार को जब मीडिया ने अस्पताल जाकर पड़ताल की तो देखा कि पलंग पर चादर तक नहीं है तथा पीड़ित गर्भवती महिला ने अपना नाम न छापने की शर्त पर बताया कि जब से अस्पताल में डिलीवरी के लिए आई हूं तब से अवस्थाएं चरम पर है यहां तक कि जिस बेड पर सोए हैं उस पर चादर तक नहीं बिछी है कुछ मरीज के परिजनों ने शिकायत की कि मेन्यु के अनुसार भोजन तक नहीं दिया जा रहा है
Tags
dhar-nimad