भागवत कथा सुनने से ही राजा परीक्षित को मोक्ष प्राप्त हुआ | Bhagwat katha sunne se hi raja parikshit ko moksh

भागवत कथा सुनने से ही राजा परीक्षित को मोक्ष प्राप्त हुआ

भागवत कथा सुनने से ही राजा परीक्षित को मोक्ष प्राप्त हुआ

धामनोद (मुकेश सोडानी) - बालाजी मंदिर में चल रही सात दिवसीय श्रीमद भागवत कथा  में गुरुवार कथा वाचक  पंडित महेश गुरुजी ने बताया कि श्रंगी ऋषि के श्राप को पूरा करने के लिए तक्षक नामक सांप भेष बदलकर राजा परिक्षित के पास पहुंचकर उन्हें डंस लेते हैं और जहर के प्रभाव से राजा का शरीर जल जाता है और मृत्यु हो जाती है। लेकिन श्री मद् भागवत कथा सुनने के प्रभाव से राजा परीक्षित को मोक्ष प्राप्त होता है। पिता की मृत्यु को देखकर राजा परीक्षित के पुत्र जनमेजय क्रोधित होकर सर्प नष्ट हेतु आहुतियां यज्ञ में डलवाना शुरू कर देते हैं जिनके प्रभाव से संसार के सभी सर्प यज्ञ कुंडों में भस्म होना शुरू हो जाते हैं तब देवता सहित सभी ऋषि मुनि राजा जनमेजय को समझाते हैं और उन्हें ऐसा करने से रोकते हैं। पंडित गुरुजी ने कहा कि कथा के श्रवण प्रवचन करने से जन्मजन्मांतरों के पापों का नाश होता है और विष्णुलोक की प्राप्ति होती है।

कथा में  प्रवचन देते हुए कहा कि संसार में मनुष्य को सदा अच्छे कर्म करना चाहिए, तभी उसका कल्याण संभव है। माता-पिता के संस्कार ही संतान में जाते हैं।संस्कार ही मनुष्य को महानता की ओर ले जाते हैं। श्रेष्ठ कर्म से ही मोक्ष की प्राप्ति संभव है। अहंकार मनुष्य में ईष्र्या पैदा कर अंधकार की ओर ले जाता है। उन्होंने कहा कि श्लोक कर्मण्ये वाधिकारस्ते मा फलेसु कदा चनि:। मनुष्य को सदा सतकर्म करना चाहिए। उसे फल की ¨चता ईश्वर पर छोड़ देनी चाहिए। कथा में भगवान कृष्ण की लीलाओ का भावपूर्ण वर्णन किया गया। जिसमें भजन'अरे द्वारपालो कन्हैया से कह दो कि दर पे सुदामा गरीब आ गया है'पर भाव विभोर हो श्रोताओं की आंखों से अश्रुधार बही । । कार्यक्रम में उपदेश वाचक ने कहा की मोक्ष का शाश्वत साधन है श्रीमद भागवत। पांच दिन में सम्राट परीक्षित को जब मोक्ष हुआ तो ब्रह्मा जी ने अपने लोक में एक तराजू लगाई। इसके एक पलडे़ में सारे धर्म और दूसरे में श्रीमद भागवत को रखा तो भागवत का ही पलड़ा भारी रहा। अर्थात सारे वेद पुराण शास्त्रों का मुकुट है बड़ी संख्या में महिला-पुरुष मौजूद थे

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